मुंबई की पहली भूमिगत मेट्रो-3 ने पकड़ी रफ्तार, बस कारशेड का इंतजार
मुंबई : मुंबई की पहली भूमिगत मेट्रो का मार्ग तैयार होने के एक साल या चार साल बाद दौड़ेगी, इस सवाल का जवाब मौजूदा समय में किसी के पास नहीं है। मेट्रो-3 कॉरिडोर के कारशेड की जमीन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच कानूनी जंग छिड़ी हुई है। इस बीच, एमएमआरसीएल ने कोलाबा-बांद्रा-सिप्ज के बीच मेट्रो के निर्माण को मंद नहीं होने दिया है। मंगलवार को एमएमआरसीएल ने पैकेज 7 के तहत बन रहे स्टेशनों के स्लैब का काम पूरा कर लिया है।
पैकेज 7 के अंतर्गत सिप्ज, मरोल नाका और एमआईडीसी मेट्रो स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है। कॉरिडोर के इंजिनियरों की टीम ने इन तीन स्टेशनों के बेस स्लैब, कॉन्कोर्स स्लैब, मेजनाइन स्लैब और रूफ स्लैब का काम सफलतापूर्वक कर लिया है। एमएमआरसीएल अत्याधुनिक तकनीक के साथ ही हर स्टेशन के निर्माण में जरूरत के मुताबिक अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। मरोल नाका स्टेशन का निर्माण एनएटीएम (न्यू ऑस्ट्रियन टनेलिंग मेथड) से किया जा रहा है। इस स्टेशन पर चार प्रवेश और निकासी द्वार होंगे। सिप्ज और एमआईडीसी स्टेशन का निर्माण कट ऐंड कवर तकनीक से हो रहा है। सिप्ज स्टेशन पर तीन और एमआईडीसी स्टेशन पर चार प्रवेश और निकासी द्वार होंगे।
एमएमआरसीएल के व्यवस्थापकीय सांचालक रणजित सिंह देओल के अनुसार, सिप्ज शहर का प्रमुख व्यवसायिक केंद्र है, परंतु इसे अब तक रेल मार्ग से जोड़ा नहीं गया है। सिप्ज के मेट्रो से कनेक्ट होने के साथ ही यहां पहुंचना लोगों को बहुत आसान हो जाएगा, वहीं मेट्रो के लोकल ट्रेन से कनेक्ट होने का भी फायदा लोगों को मिलेगा। सिप्ज में प्रयोगशाला, होटल, व्यवसायिक स्थान, अस्पताल होने के कारण यहां रोजाना मुंबई के विभिन्न भागों से लोग बस, ऑटो या अपने निजी वाहनों से आते हैं। मेट्रो के बन जाने के बाद लोगों को मेट्रो के रूप में सफर के लिए एक और विकल्प उपलब्ध होगा। कॉरिडोर के पैकेज 7 के तहत 76 प्रतिशत, 33.5 किमी लंबे पूरे मार्ग पर करीब 80 प्रतिशत तक टनलिंग और पूरे कॉरिडोर का 60 प्रतिशत से अधिक तक निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। कारशेड का निर्माण कार्य शुरू नहीं होने के कारण मुंबई की पहली भूमिगत मेट्रो में सफर करने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।