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दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी के कारण जेलों में भीड़भाड़ को कम के मकसद से करीब 3499 विचाराधीन कैदियों की अंतरिम जमानत बुधवार को और 45 दिनों के लिए बढ़ा दी है। हाईकोर्ट का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की सिफारिश पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए जेलों में भीड़भाड़ कम करने की खातिर समिति का गठन किया था। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने एचपीसी की अनुशंसा को देखते हुए आदेश पारित किया। समिति द्वारा तय मानकों के आधार पर एचपीसी ने 3499 विचाराधीन कैदियों को 45 दिनों के अंतरिम जमानत के विस्तार की अनुशंसा की थी ताकि उनके आत्मसमर्पण करने के कारण राजधानी की जेलों में कैदियों की भीड़भाड़ नहीं बढ़े। जेल पहले से ही क्षमता से अधिक भरे हुए हैं।

समिति ने 28 नवंबर के आदेश में कहा था कि दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में अचानक बढ़ोतरी होने से यह निश्चित नहीं है कि महामारी का खतरा कब खत्म होगा और अगर इन विचाराधीन कैदियों की अंतरिम जमानत नहीं बढ़ाई जाती है और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा जाता है तो वे अपने साथ संक्रमण ला सकते हैं। एचपीसी ने कहा था कि इसलिए समिति का मानना है कि इस तरह का कोई खतरा मोल नहीं लिया जा सकता है और 3499 विचाराधीन कैदियों को दिए गए अंतरिम जमानत को 45 और दिनों के लिए बढ़ाया जाए। इसने 1183 सजायाफ्ता कैदियों को छह हफ्ते के लिए आपातकालीन पैरोल बढ़ाने की भी अनुशंसा की थी जो नौ जनवरी 2021 को खत्म होने वाला है।

जेल अधिकारियों की तरफ से पेश हुए दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने पुष्टि की कि जस्टिस मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 45 दिनों के लिए अंतरिम जमानत बढ़ा दी है। हाईकोर्ट ने एचपीसी की तरफ से तय मानकों के अनुरूप रिहा कैदियों की अंतरिम जमानत इससे पहले पांच नवंबर को 30 दिनों के लिए बढ़ाई थी। 28 नवंबर को हुई बैठक में एचपीसी ने कहा कि उसे उम्मीद थी कि अब स्थिति में सुधार आएगा लेकिन कोविड-19 की स्थिति और बदतर हुई है। 


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