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नई दिल्ली : राजधानी में सर्दी ने दस्तक दे दी है और कोहरा भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। ऐसे में सड़कों की खामियां, गड्ढे और वाहन चालकों की लापरवाही हादसे की बड़ी वजह बन सकती है। पिछले सालों में ऐसे कई हादसों में लोगों ने जान तक गंवाई है, जो सड़क की खामी और वाहन चालकों की लापरवाही की वजह से हुए थे। ऐसे में इस वर्ष भी यह बड़ा खतरा फिर से लोगों की धड़कनें थाम सकता है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी और विभाग राजधानी की सड़कों से इन खामियों को दूर करने के लिए गंभीर दिखाई नहीं दे रहे हैं।
यहां हादसे का सबसे ज्यादा खतरा : कहीं सड़क पर गड्ढे हैं तो कहीं तीव्र मोड़ पर भी अंधेरा रहता है। कुछ ऐसे कर्व भी हैं, जहां बने हुए ब्रेकर और सड़क दोनों ही टूटे हुए हैं। वहीं कई सड़कों पर लेन मार्किंग (सफेद पट्टी), ब्रेकर पर पेंट और तमाम तरह की खामियां हैं, जो कोहरे के कारण सड़क हादसे का कारण बन सकती है। आइटीओ से विकास मार्ग होते हुए नोएडा और अक्षरधाम जाने वाले रास्ते पर तीव्र मोड़ होने के बावजूद यहां पर सड़क और ब्रेकर दोनों ही टूटे हुए हैं। इसके साथ ही यहां पुल के नीचे अंधेरा भी रहता है। वहीं अक्षरधाम के सामने से एनएच-9 पर आने वाले रास्ते पर हाईमास्ट लाइट खराब है, जो दुर्घटना का कारण बन सकता है।
इसके साथ ही आनंद विहार से आने वाले स्वामी दयानंद मार्ग पर लेन मार्किंग नहीं है और सड़क भी टूटी है। वहीं कड़कड़ी मोड़ फ्लाईओवर के ऊपर से पुश्ता रोड को जाने वाले रास्ते पर मोड़ के साथ दिशा सूचक भी नहीं है। अनफिट वाहन भी कई हादसों की बड़ी वजह बनते हैं। इसके बावजूद न तो ऐसे वाहनों की फिटनेस को ठीक कराने का कोई इंतजाम है और न ही वाहन चालक इस पर खुद ध्यान देने के लिए तैयार हैं। अधिकतर भारी वाहनों की फिटनेस को लेकर बड़ी समस्या है, जिसको दूर करने पर चालान कटने के बाद भी ध्यान नहीं दिया जाता है।
इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के सीनियर फेलो सुरिंदर पाल सिंह ने बताया कि यातायात नियमों का पालन करना हमारे व्यवहार में नहीं है। अधिकतर लोग आज भी रेड लाइट के समय जेब्रा क्रॉसिंग पर ही गाड़ी रोकते हैं और सिग्नल ग्रीन होते ही तेजी से भागते हैं। लोगों की यह लापरवाही भी दुर्घटना का कारण बनती है। कोहरे के समय हादसों की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। इस दौरान गाड़ी की फॉग लाइट जलाकर रखनी चाहिए। कोहरे के समय वाहन की गति को भी कम ही रखना चाहिए। वहीं, यातायात पुलिस को चालान काटने से ज्यादा जोर वाहन चालकों को जागरूक पर करना चाहिए। साल में एक बार सिर्फ यातायात सप्ताह के दौरान ही कुछ जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इससे समस्या के समाधान में अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है।

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