Latest News

मुंबई : महाराष्ट्र में बीजेपी को एक और झटका लगने वाला है। कद्दावर नेता एकनाथ खडसे के एनसीपी में शामिल होने के बाद अब बीजेपी से बगावत कर मीरा भाईंदर से निर्दलीय विधायक चुनी गईं गीता जैन बीजेपी से अपने रहे-सहे रिश्ते भी समाप्त कर शिवसेना की राह पर हैं। देवेंद्र फडणवीस व बीजेपी के लिए यह दूसरा बड़ा झटका माना जा रहा है।

निर्दलीय चुनाव जीतने के बावजूद गीता जैन की गिनती बीजेपी समर्थक विधायक के रूप में थी। वह पिछले लगभग एक साल से इस भरोसे बैठी थीं कि बीजेपी में उनकी सुध ली जाएगी और मीरा मीरा भाईंदर बीजेपी की कमान उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता के हाथ से निकाल कर उन्हें थमा दी जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। गीता जैन के करीबी लोगों का कहना है कि तमाम लांछनों के बावजूद अगर देवेंद्र फडणवीस नरेंद्र मेहता का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं, तो गीता जैन के पास बीजेपी से दूर जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

शुक्रवार को दिनभर मीरा भायंदर में गीता जैन के शिवसेना में शामिल होने की चर्चा जोरों पर रही। उनसे जुड़े सूत्रों का यह दावा था कि वह शनिवार को दोपहर 12.30 बजे शिवसेना में शामिल हो रही हैं। वहीं शिवसेना सर्कल में यह चर्चा सुनने को मिली कि मातोश्री से उन्हें दशहरे के दिन यानी रविवार को दोपहर 12 बजे का समय दिया गया है। रविवार को ही शिवसेना की दशहरा रैली है, जो शिवसेना के लिहाज से एक बड़ा दिन माना जाता है।

बहरहाल, गीता जैन का प्रवेश शनिवार को हो या रविवार को, यह तो तय माना जा रहा है कि बीजेपी से उनका कनेक्शन टूट कर शिवसेना से जुड़ चुका है। शिवसेना से कनेक्शन जोड़ने की जो बड़ी वजह बताई जा रही हैं, उनमें एक सबसे बड़ी वजह यह है पिछले एक साल से बीजेपी अपने विधायकों और समर्थकों को सत्ता में लौटने का जो सपना दिखाती आ रही है, वह अब पूरा होता नहीं दिख रहा, क्योंकि महा विकास अघाड़ी सरकार दिन पर दिन मजबूत होती जा रही है।

एकनाथ खडसे के बीजेपी छोड़कर एनसीपी में शामिल होने के बाद यह संभावना भी बढ़ गई है कि आज नहीं, तो कल खडसे समर्थक कुछ विधायक बीजेपी छोड़कर महा विकास अघाड़ी में शामिल हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो महा विकास अघाड़ी की सरकार को गिराना बीजेपी के लिए और मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में हर विधायक को अपने क्षेत्र के विकास कामों के लिए सत्ता पक्ष की मदद की आवश्यकता महसूस होने लगी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि मीरा भाईंदर जैसे बीजेपी के मजबूत गढ़ में सेंध लगाने के लिए शिवसेना के पास भी यह सुनहरा मौका है। लेकिन इस मौके को भुनाने से पहले शिवसेना को अपने स्थानीय समीकरणों का भी ध्यान रखना होगा।


Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement