तेहरान : जिसके खत्म होने से डरे हुए हैं खाड़ी देश और खुश है ईरान
तेहरान : ईरान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रिजोल्यूशन 2231 के तहत ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों की सीमा 18 अक्तूबर 2020 को समाप्त हो गई है। इसको लेकर खाड़ी के कई देशों को चिंता है। दरअसल, इसकी समय सीमा खत्म होने से पहले ही खाड़ी सहयोग परिषद ने एक पत्र के माध्यम से सुरक्षा परिषद का ईरान पर लगाए गए हथियार प्रतिबंध की अवधि का आगे विस्तार करने का समर्थन किया था। इस काउंसिल में शामिल देश संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सऊदी अरब, ओमान, कतर, कुवैत ने एकजुट होकर ये गुहार लगाई थी कि प्रतिबंध की अवधि को आगे बढ़ा दिया जाए। लेकिन अब जबकि ये समय सीमा खुद ही समाप्त हो गई है तो ईरान ने नए सिरे से अपनी योजनाओं को विस्तार देने का एलान भी कर दिया है। ईरान का कहना है कि वो अब हथियारों की खरीद भी करेगा और बेचेगा भी। हालांकि ईरान की तरफ से हुए एलान में हथियार खरीद से ज्यादा इन्हें बेचने पर जोर दिया गया है।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि ईरान से अमेरिका समेत छह देशों ने मिलकर वर्ष 2015 में बहुपक्षीय ईरान परमाणु समझौता भी किया था जिसको संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना के रूप मे जाना जाता है। हालांकि वर्ष 2018 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इससे अमेरिका को अलग कर लिया था। उनका कहना था कि ये समझौता अमेरिका के हित में नहीं है। हालांकि इसमें शामिल अन्य सभी देशों ने इस समझौते से अलग न होने की गुहार अमेरिका से लगाई थी। इसके एक वर्ष बाद ईरान ने भी इस समझौते से खुद को अलग कर लिया था। ईरान ने कहा है कि उसके खिलाफ लंबे समय से चले आ रहे हथियारों के व्यापार पर लगे प्रतिबंध का अंत हो गया है और अब उसका हथियार खरीदने से ज्यादा बेचने का इरादा है.
जहां तक यूएन रिजोल्यूशन 2231की बात है तो आपको बता दें कि इसकी अवधि दस वर्ष की थी। ये प्रतिबंध यूएन द्वारा ईरान पर बड़े हथियारों की खरीद पर वर्ष 2010 में लगाया था। इसकी वजह ईरान का अपना परमाणु कार्यक्रम था जिसको वो कई बार चेतावनी देने के बाद भी बंद नहीं कर रहा था। यूएएस डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी ने वर्ष 2019 में ये बताया था कि यदि ये प्रतिबंध आगे नहीं बढ़ाए गए तो ईरान इसकी समय सीमा खत्म होने के बाद रूस से सुखोई 30 फाइटर जेट, याक 130 ट्रेनर एयरक्राफ्ट और टी-90 टैंकों की खरीद कर लेगा। इसमें ये भी कहा गया था कि प्रतिबंध की समय सीमा न बढ़ाए जाने पर मुमकिन है कि ईरान रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी खरीदे।
वहीं प्रतिबंधों के बाद चीन भी ईरान को हथियारों की खरीद कर सकता है। ईरान पर प्रतिबंध को बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी स्थायी सदस्यों की सहमति आवश्यक है। आपको बता दें कि रूस और चीन ईरान के प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्त्ता देश रहे हैं। ये दोनों देश सुरक्षा परिषद से स्थायी सदस्य भी हैं। यही वजह है कि यूएनएससी में प्रतिबंध की अवधि को विस्तार दिए जाने की अमेरिका की मंशा काम नहीं कर सकी। इसकी वजह इन दोनों देशों के पास वीटो की ताकत का होना भी है।
बता दें कि ईरान पर UNSC रिजोल्यूशन 1747, जो कि 24 मार्च 2007 में लागू हुआ था के तहत ईरान को सभी प्रकार के हथियारों के हस्तांतरण जिसमें इसके आयात और निर्यात दोनों शामिल थे, से प्रतिबंधित किया गया था। इसके अलावा UNSC रिजोल्यूशन 1929 के तहत ईरान को युद्ध के लिये हथियारों की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाया गया था। ये 9 जून, 2010 को लागू हुआ था। यूएन के एक अन्य रिजोल्यूशन के तहत संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना अमल में लाई गई थी जिसमें ईरान पर लगाए गए हथियार प्रतिबंधों में राहत प्रदान की गई थी।