Latest News

मुंबई : राज्य में महाविकास आघाड़ी में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी शामिल होने के बावजूद  भी विरोधी पक्ष नेता पद के लिए हाईकोर्ट के निर्णय के बाद कांग्रेस मुंबई महानगर पालिका की समितियों के अध्यक्ष पद चुनाव में उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है. कांग्रेस का यह निर्णय शिवसेना के लिए मुसीबत पैदा कर सकता है.
कांग्रेस शिवसेना के साथ मनपा की सत्ता में सहभागी होना चाह रही है, जिसके लिए इस तरह का दबाव बना रही है. कांग्रेस और एनसीपी दोनों ने मिलकर मनपा के 4 वैधानिक और 4 विशेष समितियों सहित प्रभाग समिति के अध्यक्ष पद के चुनाव में मैदान में उतरी तो शिवसेना को बड़ा नुकसान हो सकता है. भाजपा ने पहले ही शिवसेना के खिलाफ बिगुल फूक दिया है. प्रभाग स्तर पर कांग्रेस नगरसेवक भाजपा के साथ हाथ मिला लिए तो शिवसेना के हाथ से कई समितियां छिन सकती है.
अप्रैल महीने में होने वाला मनपा की समिति अध्यक्ष का चुनाव कोरोना महामारी के चलते टाल दिया गया था. राज्य सरकार ने अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव कराने की अनुमति दी है. राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार आने के बाद मुंबई मनपा का पहला समिति अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा है. कोरोना के कारण इस साल का कार्यकाल अब मात्र 6 महीने का ही होगा बावजूद इसके इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है.
मनपा के 2017 चुनाव में पहली बार शिवसेना और भाजपा ने अलग अलग चुनाव लड़ा था.  इसके पहले बीस सालों से दोनों ही पार्टियां गठबंधन में मनपा का चुनाव लड़ती आ रही थींं. इस चुनाव में शिवसेना को 84 सीट मिली थी, जबकि भाजपा को 82 नगरसेवक चुनकर आए. राज्य में युति की सरकार होने के कारण भाजपा ने बीएमसी की सत्ता पर काबिज होने की पूरी कोशिक की, लेकिन नाकाम रहने के बाद शिवसेना को सत्ता में बैठने दिया. 3 बार हुए समितियों के चुनाव और ढाई ढाई साल में हुए दो बार महापौर के चुनाव में भाजपा ने किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया. खास रणनीति के तहत बीजेपी को दूर रखने के लिए विपक्षी पार्टी कांग्रेस, एनसीपी, समाजवादी गठबंधन ने उम्मीदवार नहीं उतारे जिससे चुनाव निर्विरोध हुआ. अब पहली बार भाजपा ने शिवसेना को घेरने के लिए कमर कसी है तो कांग्रेस ने भी चुनाव में कूदने की घोषणा कर शिवसेना को पसोपेश में डाल दिया है.
कांग्रेस बीएमसी की समितियों के अध्यक्ष पद के चुनाव में उतरने की घोषण के पीछे यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस 20 साल बाद समिति का अध्यक्ष बनने अवसर भुनाने के लिए शिवसेना पर दबाव बनाना चाह रही है. कांग्रेस को पता है कि भाजपा शिवसेना को नीचा दिखाना चाहती है, जिसके चलते उनके पास शिवसेना को दबाने के लिए अच्छा मौका मिला है. शिवसेना को अपनी इज्जत बचाने के लिए मजबूरी में कांग्रेस को किसी समिति का अध्यक्ष देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. कांग्रेस इसी का फायदा उठाकर मनपा की कोई बड़ी कमेटी का अध्यक्ष पद हासिल कर सकती है. लेकिन कांग्रेस इस दुविधा में है कि यदि वह खुलकर शिवसेना का साथ देती है तो विरोधी पक्ष नेता का पद छोड़ना पड़ेगा. रवि राजा ने कहा कि शिवसेना के साथ गठबंधन  राज्य सरकार के साथ है बीएमसी में नहीं. इसलिए कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस और सपा के साथ मिलकर अपना उम्मीदवार उतारेंगे. फिलहाल चुनाव के समय ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो वक्त ही बताएगा.


Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement