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मुंबई : अपने वर्ल्ड क्लास डिलीवरी सिस्टम से दुनिया भर में मशहूर हो चुके मुंबई के 5000 डब्बावालों के सितारे  बीते साढे़ पांच महीनों से लॉकडाउन के बाद गर्दिश में हैं और अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. खाने के डिब्बों की डिलीवरी का काम बंद हो जाने से डब्बावालों की आर्थिक स्थिति बिल्कुल जर्जर हो चुकी है और यह संकट दिन ब दिन गहराता जा रहा है. हालांकि मिशन बीगिन अगेन के तहत कामकाज अब धीरे-धीरे खुल रहा है, लेकिन डब्बावालों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है, क्यूंकि उनके लिए लोकल ट्रेनें अभी भी बंद है.

डब्बावाला संगठन ने केंद्र सरकार से शनिवार को मांग की है कि वह उनकी सेवा को अत्यावश्यक सेवा मानते हुए मौजूद हालात में लोकल के जरिए डब्बा पहुंचाने की अनुमति दी जाए. नहीं तो सभी डब्बावालों को तीन हजार रुपए प्रतिमाह का अनुदान दे. दुनिया भर में अपने काम को लेकर मशहूर डब्बावालों के एसोसिएशन ने कहा कि जिस तरह लोकल ट्रेनों को मुंबई की लाइफ लाइन कहा जाता है, उसी प्रकार यह हमारे लिए भी लाइफ लाइन है.

याद रहे कि एक हफ्ते पहले डब्बावालों को संकट से बचाने के लिए बीजेपी से राज्यसभा सांसद और वकील सुब्रमण्यन स्वामी ने ट्वीट करके डब्बा वालों के पक्ष में अपील की थी. स्वामी ने अपने ट्वीट में पोस्ट किया कि डब्बावाले अपने में अद्वितीय भारतीय उद्यम हैं और इन लोगों ने भारत के विकास में योगदान किया है. डब्बा वालों ने मुंबई की काफी सेवा की है और ऑफिस में काम करने वाले लोगों को घर का बना खाना पहुंचाया है. महाराष्ट्र की सरकार और भारतीय जनता पार्टी को आज उन्हें भूखे मरने से बचाना चाहिए.


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