मुंबई : अचानक क्यों महंगी हो गई प्याज
नवी मुंबई : करीब 10 दिनों तक सस्ती रही प्याज एकबार फिर महंगी हो गई है, जिससे आमआदमी के किचन का बजट गड़बड़ाने लगा है। थोकमंडी के कई व्यापारियों का कहना है कि प्याज की महंगाई बड़े जमाखोरों के चलते आई है। प्याज की कीमत कुछ कम होने के पीछे भी जमाखोरी ही वजह थी। करीब एक सप्ताह पहले प्याज के थोक दाम निम्नतम 01 रुपये से अधिकतम 10 रुपये प्रति किलो तक थे। हालांकि धीरे-धीरे 1-1 रुपये की बढ़ोतरी से ये 20 रुपये तक जा पहुंचे। कोरोना काल में प्याज सस्ता होने से खुश हुई पब्लिक अब फिर मायूस हो गई है। वाशी के थोक व्यापारी मनोहर तोतलानी सहित कई अन्य थोक व्यापारियों ने दावा किया कि प्याज के थोक भाव के साथ किए जा रहे खेल के पीछे नाशिक, लातूर, मालेगांव, अहमदनगर, पुणे और सातारा जैसे प्याज उत्पादक जिलों के बड़े जमाखोरों का हाथ है। जमाखोरों ने प्याज की किल्लत की खबर फैलाकर किसानों से सूखी व अच्छी प्याज खरीद ली और थोकमंडियों में बारिश से भीगी प्याज भेज दी, जिनकी आवक अभी भी जारी है।
मनोहरलाल तोतलानी के अनुसार अमूनन हरसाल इन महीनों में कर्नाटक से भी प्याज की आपूर्ति की जाती है। इस साल बारिश से कर्नाटक के बेलगाम और हुबली परिसर की अधिकांश प्याज भीग गई और थोक बाजार में भेजने लायक नहीं रह गई। ऐसे में, महाराष्ट्र के नाशिक, पुणे, धुलिया व अहमदनगर जिलों से कम गुणवत्ता वाली प्याज को राज्य की थोकमंडियों में भेजा जाने लगा। फिलहाल महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक जिलों से ही प्याज की आवक हो रही है और अभी आ रही प्याज में बारिश में भीगी प्याज की अधिकता है। 11 अगस्त, 2020 तक प्याज के दाम 01 रुपये से लेकर 10 रुपये प्रति किलो तक थे। इसके बाद 12 अगस्त से इनके दाम एक-दो रुपये के अंतर से बढ़ने लगे। इस दौरान 15 व 16 अगस्त के दिन बाजार बंद थे।
तोतलानी के अनुसार 22 अगस्त से शुरू हो रहे श्रीगणेशोत्सव के 10 दिनों तक यानी गणेश चतुर्दशी तक प्याज के दाम इसी तरह कुछ हद तक कम रहेंगे। इस दौरान प्याज के बड़े खरीदार अपने पास रखी गीली व कम गुणवत्ता की प्याज को थोकमंडियों में भेजना शुरू करेंगे। इसी दौरान वे सूखी और वीआईपी दर्जे की प्याज को अधिक से अधिक खरीदेंगे तथा अपने पास जमा कर रख लेंगे। इसके बाद एक बार फिर जमाखोरों का खेल शुरू होगा और प्याज पुनः महंगी होने लगेगी जो नई फसल के आने तक जारी रहेगी। इस साल देर से शुरू हुई बारिश के चलते नई फसल अब सितंबर के बदले एक महीना देरी से यानी अक्टूबर के आखिर तक अथवा नवंबर के शुरू में आ जाएगी।