मुंबई : ऑटो-टैक्सी को भी पूरी तरह अनलॉक की उम्मीद
मुंबई : शनिवार से महाराष्ट्र में चार पहिया वाहनों में ड्राइवर के अलावा तीन सवारियों को यात्रा करने की छूट दी है। अब तक केवल दो यात्रियों को अनुमति थी। हालांकि, ऑटो में अभी भी 2 सवारी को अनुमति होगी। इस छूट के बावजूद ऑटो-टैक्सी की बड़ी परेशानी है 'आवश्यक सेवाओं' वाला टैग। महाराष्ट्र में ऑटो-टैक्सी को अभी भी केवल आवश्यक सेवाओं तक सीमित रखा है। इसके कारण सामान्य लोगों को ऑटो-टैक्सी सेवाएं उपलब्ध नहीं हो रही हैं। हालांकि, ये नियम कागजों पर ही दर्ज है, लेकिन कई बार इस नियम का हवाला देकर ऑटो-टैक्सी वालों पर कार्रवाई हो जाती है। लॉकडाउन के दौरान ऑटो या टैक्सी को सवारी रेलवे स्टेशन से लाने ले जाने या अस्पताल तक आने जाने की अनुमति थी।
अतिआवश्यक सेवाओं वाली शर्त धरातल पर नहीं दिखती है, लेकिन यूनियन को इससे आपत्ति है। यूनियनों का कहना है कि लॉकडाउन की गाइडलाइन का हवाला देकर कई बार ड्राइवरों को परेशान किया जाता है। मुंबई टैक्सीमेन यूनियन के एएल क्वॉड्रोस का कहना है कि रेलवे स्टेशन या अस्पताल के अलावा जब कोई टैक्सी वाला सामान्य सवारी को ले जाता है, तब उस पर कार्रवाई हो जाती है। टैक्सी वालों को अतिआवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को सवार करने की अनुमति मिली हुई है। अब जब चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोलने की बात हो रही है, तो ऐसे मे ट्रांसपोर्ट सिस्टम को पूरी छूट दी जानी चाहिए।
टैग हटाने के अलावा यूनियनों ने किराया वृद्धि की मांग भी की है। ऑटो रिक्शा यूनियन का कहना है कि राज्य सरकार से ये मांग की गई है और जल्द ही किराये में बढ़ोतरी होनी चाहिए। मुंबई रिक्शा असोसिएशन के थम्पी कुरियन के अनुसार किराया बढ़ोतरी के नए तरीके को अपनाने का प्रस्ताव भी राज्य सरकार और मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी को दिया हुआ है। यह प्रस्ताव जल्द ही पास होने की उम्मीद है। नए प्रस्ताव के अनुसार पहले 1.5 किमी के लिए 20 रुपये और उसके बाद प्रति किमी 2 रुपये बढ़ोतरी की मांग की गई है। फिलहाल ऑटो का शुरुआती किराया 18 रुपये है। गौरतलब है कि हाल ही में सीएनजी के दामों में बढ़ोतरी की गई थी।
फिलहाल मुंबई के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बात करें, तो केवल बेस्ट ही एक ऐसी सर्विस है, जिसमें सामान्य लोग सवारी कर सकते हैं। मुंबई में अभी रोजाना 3000 के करीब बसें चल रही हैं, इनमें लगभग 10 लाख यात्री सफर कर रहे हैं। ये आंकड़ा फिलहाल मुंबई लोकल से कई गुना ज्यादा है। जिस मुम्बई लोकल में रोज़ाना 78-80 लाख यात्री सफ़र करते थे, वहां अब बमुश्किल 1 लाख यात्री सफ़र कर रहे हैं, जबकि मुम्बई लोकल से दस गुना ज्यादा यात्री बेस्ट की सेवाएं ले रहे हैं। लोकल से वंचित लोगों का लाभ बेस्ट को मिल रहा है। लोकल नहीं चलने से पहले लॉकडाउन पीरियड में बेस्ट रोजाना करीब 2.5 लाख यात्रियों को सेवा देती थी।