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मुंबई : कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार करने वाले निजी अस्पताल अब ओवरचार्जिंग नहीं कर पाएंगे. सरकार ने मुंबई सहित राज्य के सभी निजी अस्पतालों की इस लूट पर अंकुश लगा दिया है.सरकार ने सामान्य बेड चार्ज, आईसीयू रूम, वेंटिलेटर चार्ज और दवाइयों के चार्ज भी फिक्स कर दिए हैं,यानी अब अस्पतालों को सरकार द्वारा तय किए गए चार्जेस लेने होंगे.

मुंबई के कुछ चुनिंदा निजी अस्पतालों में कोरोना का ट्रीटमेंट मरीजों को दिया जा रहा है. मरीजों को अच्छी खासी कीमत भी अदा करनी पड़ रही है. ओवरचार्जिंग को लेकर सरकार के पास काफी शिकायतें आ रही थी. इसी के मद्देनजर सरकार ने अब निजी अस्पतालों की मनमानी को रोकने का फैसला किया है. नाम न छापने की शर्त पर स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए नियम के मुताबिक जनरल बेड चार्ज 4000 रुपए, आईसीयू बेड (बिना वेंटिलेटर) का चार्ज 7500 रुपए और वेंटीलेटर के साथ अलग कमरे का चार्ज 9000 रुपए फिक्स किया गया है. इतना ही नहीं उक्त चार्जेज में रूटीन जांच जैसे सीबीसी, यूरिन, एचआईवी, 2डी इको, एक्स रे, नर्सिंग चार्ज आदि का भी समावेश रहेगा. इसके अलावा मरीजों को दी जाने वाली महंगी दवाइयां एमआरपी पर बेंची जाएगी.उदारहण के तौर पर यदि किसी दवा की एमआरपी 100 रुपए है और अस्पताल की खरीदी 60 रुपए है तो ज्यादा से ज्यादा 10 प्रतिशत का मार्जिन के साथ यानी 66 रुपए ही चार्ज कर सकती है.

इस संदर्भ में जब महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधाकर शिंदे से बात की गई तो उन्होंने कोरोना ट्रीटमेंट पर कैपिंग की बात की पुष्टि की.देर रात महाराष्ट्र ने परिपत्रक जारी कर ट्रीटमेंट के खर्च पर कैप लगा दिया है. जानकारों की माने तो इससे मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी और अस्पतालों की लूट पर अंकुश लगेगा.



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