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शिंदखेड़ा : बिहार के दिहाड़ी मजदूर सूरत में फैक्ट्री बंद होने से बेरोजगार हुए हो गए. मकान मालिक ने दो दर्जन से भी अधिक मजदूरों को किराए का कमरा खाली करने का फरमान सुनाया, जिसके चलते यह 14 मजदूर सूरत से रेल लाइन के ट्रैक से पैदल चलकर बिहार जाने भूखे प्यासे निकल पड़े. चार दिन और रातें पैदल यात्रा कर भूख से निढाल होकर यह मजदूर शिंदखेड़ा रेलवे स्टेशन पंहुचे. रेलकर्मियों ने उन्हें देख स्थानीय प्रशासन को सूचित किया, जिसमें 14 बिहारी युवाओं को नगर परिषद के विद्यालय में क्वारंटाइन किया गया है.

18 से 30 उम्र के 14 मजदूर स्थानीय रेल स्टेशन पर भूख से थके हारे व्याकुल हालत में रेलवे ट्रैक पर बैठे थे. उन्हें देखकर स्टेशन कर्मी राहुल मराठे ने जांच पड़ताल की. महामारी के डर के मारे पहले वह कुछ बताने की स्थिति में नहीं थे. फिर उन्होंने कहा कि हम जिस कंपनी में काम कर रहे थे, वह बंद हो गयी. मालिक ने घर वापसी जाने को कहा. हम कुछ दिन किराये के मकान में रहे, मकान मालिक ने भी वहां से निकाल दिया. फिर 12 अप्रैल से यह मजदूर सूरत से रेल ट्रैक से पैदल बिहार के लिए चल पड़े.

धुलिया क्षेत्र के सांसद भामरे से संपर्क कर शिंदखेडा के तहसीलदार को सूचित किया कि उनकी खानपान की व्यवस्था कर, उन्हें शिंदखेड़ा लाएं. ग्रामीण अस्पताल में उनकी जांच की गयी. वह कोरोना निगेटिव पाए गये हैं. उन्हें तहसीलदार ने यहाँ के जिला परिषद की स्कूल में दो शिक्षकों की निगरानी में 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया है. 


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