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मायानगरी के सबसे पॉश और महंगे इलाकों में से एक कफ परेड में 30 मंजिला SRA टावर बनने की राह आसान हो गई है. सोमवार को सर्वोच्च शिकायत निवारण समिति ने शापूरजी पालोनजी की कंपनी को रीडेवलपमेंट का जिम्मा दिए जाने के SRA के फैसले को बरकरार रखा.

स्लम रिहैबिलिटेशन स्कीम के तहत यह देश की सबसे ऊंची इमारत होगी. झोपड़पट्टी पुनर्वास योजना के तहत अब तक अधिकतम 22 मंजिला इमारतें ही बनीं हैं.इसके बाद 2018 में ग्रिएवांस रिड्रेसल कमेटी के सामने यह मामला पहुंचा.

शहर के बिल्डरों- SRA, MHADA और MMRDA के खिलाफ शिकायतों के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देश के बाद इस कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी में का चेयरमैन एक IAS दर्जे का अधिकारी होता है, जबकि SRA, MHADA और MMRDA- तीनों ही विभागों के प्रमुख भी इस कमेटी के सदस्य होते हैं.

आम तौर पर इस कमेटी के फैसले को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. ऐसे में जानकारों के मुताबिक कमेटी के इस ताजा फैसले के बाद कफ परेड इलाके के इस मॉडल SRA प्रोजेक्ट की राह आसान हो गई है

SRA के मुताबिक मुंबई के कफ परेड इलाके में बाबासाहेब आंबेडकर नगर, गणेश मूर्ति नगर और धोबीघाट की तकरीबन 28 एकड़ जमीन पर 6 हजार से ज्यादा झुग्गी झोपड़ियों का अलग-अलग फेज में पुनर्वास किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के तहत अगले कुछ सालों में इलाके के 45 हजार लोगों के आशियाने का सपना पूरा हो सकेगा.

डेवलपर के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में स्मार्ट सिटी के सभी फीचर होंगे जो सीसीटीवी, सिक्योरिटी, पब्लिक वाईफाई, वेस्ट मैनेजमेंट, एनर्जी मैनेजमेंट और वॉटर मैनेजमेंट समेत कई सुविधाओं से लैस होगा.

कफ परेड में जमीन के दाम आसमान छूते हैं और ये शहर के सबसे महंगे इलाकों में से एक है. यहां आर्थिक राजधानी की कई बड़ी हस्तियां रहती हैं लेकिन इस SRA प्रोजेक्ट के बाद यहां की झुग्गियों में रहनेवाला शख्स करोड़पति बन जाएगा.

इससे पहले साल 2012 में शापूरजी पालोन जी की कंपनी प्रिकॉशंस प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड ने इस प्रोजेक्ट के लिए प्रस्ताव दिया था जिसे पांच सालों तक कानूनी अड़चनों के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिली.

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