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देश में एटीएम संबंधी धोखाधड़ी,डकैती और चोरी की घटनाएं पिछले कुछ सालों के दौरान तेजी से बढ़ी हैं। हिन्दुस्तान को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 के बाद से  मौजूदा वित्त वर्ष के सितंबर महीने तक ऐसी करीब 50 हजार घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है। एटीएम धोखाधड़ी,चोरी,डकैती और लूटपाट के आंकड़ों की तुलना की जाए तो वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान ये घटनाएं जहां कुछ सौ में हुआ करती थीं, लेकिन 2019 के आते-आते हजारों में पहुंच गईं। कुल आंकड़ों को देखें तो साढ़े पांच साल में देशभर में 49,902 घटनाओं में 279.56 करोड़ रुपये की रकम फंसने के मामले दर्ज किए गए हैं। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा घटनाएं राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में हुई हैं।

हिन्दुस्तान को ये भी जानकारी मिली कि ऐसी घटनाओं में संलिप्त गिरोह छोटे शहरों और दूरदराज इलाकों में लगे एटीएम को अपना निशाना बनाते हैं और किसी एक जगह पर रहते हुए पूरे देश में ऐसी वारदातों को अंजाम देते रहते हैं। फिक्की के प्राइवेट सिक्योरिटी कमेटी के चेयरमैन ऋतुराज सिन्हा के मुताबिक ये अपराध संगठित तौर पर किए जाते हैं।  उन्होंने बताया कि पहले ऐसी घटनाएं एटीएम कैश वैन में हुआ करती थीं लेकिन उस मोर्चे पर गृहमंत्रालय के नए सुरक्षा मानक तय कर दिए जाने के बाद घटनाओं में कमी आई है। लेकिन अब ऐसे गिरोह एटीएम मशीनों को निशाना बना रहे हैं। सेवानिवृत्त आईपीएस और यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के मुताबिक आर्थिक अपराध के मामलों पर तुरंत और उचित कार्रवाई न होने की वजह से घटनाएं पिछले कुछ सालों में बढ़ी हैं। उन्होंने ये भी कहा कि कार्रवाई नहीं होने का ही नतीजा है कि अब यह एक संगठित आपराधिक गिरोह के काम के रूप में दिख रहा है। अगर अब भी इन पर शिकंजा नहीं कसा गया तो आने वाले दिनों में न सिर्फ घटनाओं के आंकड़े बढ़ेंगे, बल्कि नुकसान भी बढ़ता ही जाएगा।


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