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दिल्ली : भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट से जमानत मिल गई है. कोर्ट ने उनको सशर्त जमानत दी है. अदालत ने कहा कि चंद्रशेखर अगले 4 सप्ताह तक दिल्ली में नहीं रहेंगे, क्योंकि दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक मामले में चार्जशीट दायर नहीं होती है, तब तक वो हर शनिवार को सहारनपुर में एसएचओ के सामने हाजिरी देंगे.
बुधवार को सुनवाई के दौरान तीस हजारी कोर्ट ने चंद्रशेखर आजाद को फटकार भी लगाई. चंद्रशेखर के वकील महमूद प्राचा ने कोर्ट से कहा कि सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब किसी से दिक्कत होती है, तो वो पुलिस को आगे कर देते है. इस पर कोर्ट ने कहा कि चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री और इंस्टिट्यूशन का सम्मान करना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि जो ग्रुप प्रोटेस्ट करता है, उसी पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुचाने का आरोप भी लगता है. इस मामले में पुलिस ने कहा कि हिंसा हुई है और पुलिस बैरिकेडिंग व दो प्राइवेट गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया गया. इसकी जवाबदेही भी चंद्रशेखर आजाद की है.
चंद्रशेखर के वकील महमूद प्राचा ने कोर्ट में चंद्रशेखर का ट्वीट पढ़ा. उन्होंने कहा कि राम प्रसाद बिस्मिल्लाह के कोट को चंद्रशेखर ने ट्वीट किया था. इसे वो रोज गाते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि वाकई चंद्रशेखर आजाद इसको रोज गाते हैं. इस ट्वीट से क्या जनता भड़केगी नहीं. इस पर चद्रशेखर के वकील ने कहा कि आरएसएस का भी ट्वीट है. जिस पर कोर्ट भड़क गया और कहा कि आप किसी और के ट्वीट का यहां जिक्र मत करिए.
इससे पहले मंगलवार को अदालत ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ एक भी सबूत पेश नहीं कर पाने को लेकर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. इस दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने पुलिस से सवाल किया था, 'मुझे कुछ भी ऐसा दिखाएं या कानून बताएं, जो इस प्रकार से इकट्ठा होने पर रोक लगाता हो. हिंसा कहां है? कौन कहता है कि आप प्रदर्शन नहीं कर सकते? क्या आपने संविधान पढ़ा भी है? प्रत्येक नागरिक का यह संवैधानिक अधिकार है कि सहमत न होने पर वह विरोध प्रदर्शन करे.'
आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल होने के संदेह में पिछले महीने दरियागंज से गिरफ्तार किया था. उनको जामा मस्जिद के बाहर से गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद चंद्रशेखर ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में जमानत के लिए याचिका लगाई थी. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि एफआईआर में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने भीड़ को जामा मस्जिद से दिल्ली गेट तक मार्च करने के लिए उकसाया और हिंसा में शामिल रहे.

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