फडणवीस से मिलने से पहले अजित पवार ने मुझसे पूछा था: एनसीपी प्रमुख शरद पवार
मुंबई : महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी (शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) सरकार बनवाने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार को अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात के बारे में जानकारी थी। पवार ने एक इंटरव्यू में कहा है कि अजित ने फडणवीस से मिलने के लिए उनसे इजाजत मांगी थी। शरद पवार ने यह भी बताया है कि शिवसेना के साथ गठबंधन के लिए कैसे उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को राजी किया। शरद पवार ने खुलासा किया कि अजित पवार बीजेपी के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं, इसकी उन्हें बिल्कुल जानकारी नहीं थी। पवार ने बताया, 'एक दिन अजित पवार ने मुझसे पूछा था कि फडणवीस मिलना चाह रहे हैं। उन्हें कुछ बात करनी है। मैं मिलने जाऊं क्या? राजनीति में हर किसी से संवाद जरूरी है, इसलिए मैंने मिलने की इजाजत दे दी थी।' पवार के मुताबिक, अजित पवार और फडणवीस के बीच क्या हुआ इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। अजित पवार के बताए मुताबिक उन्होंने फडणवीस के सामने शर्त रखी थी कि अगर आज के आज सरकार का शपथ ग्रहण हो तो वह फडणवीस सरकार को समर्थन देने को तैयार हैं। पवार ने कहा कि जब उन्होंने अजित पवार को फडणवीस के साथ शपथ लेते देखा तो वह हतप्रभ रह गए, लेकिन अजित के साथ गए विधायकों के चेहरे देखने के बाद उन्हें लगा कि यह तो उनके ही समर्थक हैं। उनकी बात के बाहर नहीं जाएंगे। इसके बाद ही वह विधायकों को वापस बुलाने में कामयाब हुए।
शरद पवार ने कहा कि शिवसेना के कुछ नेताओं के मन में यह सवाल था कि आखिर शिवसेना ही हमेशा छोटा भाई बनी रहे। शिवसेना के नेताओं को लग रहा था कि उनका ही मुख्यमंत्री बनना चाहिए। इसलिए आगे की घटनाएं घटती गईं। जब मुझे लगा कि शिवसेना किसी भी स्थिति में बीजेपी के साथ जाने को तैयार नहीं है, तब मैंने सीधे सोनिया गांधी से बात की। शिवसेना के साथ कोई भी बात करने से पहले मेरे लिए कांग्रेस का रुख जानना जरूरी था। राज्य में कांग्रेस के नेताओं की भी यही इच्छा थी कि मैं इस बारे में कांग्रेस आलाकमान से बात करूं। कांग्रेस से चुनकर आए विधायकों की शिवसेना के साथ जाने की प्रबल इच्छा देखकर मैंने आगे कदम बढ़ाया। मैंने सोनिया गांधी से बात की। पवार ने बताया, 'मैंने उन्हें समझाया कि बालासाहेब ने इमर्जेंसी के दौरान इंदिरा गांधी को समर्थन दिया था। इसके बाद जो चुनाव हुए, उसमें भी शिवसेना ने कांग्रेस के समर्थन में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। प्रतिभा ताई पाटिल के राष्ट्रपति चुनाव में भी शिवसेना ने समर्थन दिया था। आखिर में सोनिया गांधी शिवसेना के साथ सरकार बनाने के प्रस्ताव पर राजी हो गईं।'