सिपाही मैनेजर सिंह के पैर में गोली मारकर रणविजय को उसके साथी भगा ले गए, पुलिस महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार, लालच और गैर जिम्मेदार रवैए के कारण घटी थीं
मुंबई : देवरिया, एकौना का रहनेवाला बदमाश रणविजय यादव नौ दिसंबर २०१० को गोरखपुर में पेशी पर आया था। न्यायालय से निकलने के बाद सिपाही मैनेजर सिंह को लेकर आंबेडकर चौराहे पर चला आया, जहां रणविजय के साथी पहले से मौजूद थे। सिपाही मैनेजर सिंह के पैर में गोली मारकर रणविजय को उसके साथी भगा ले गए। २२ जून २०११ को दीवानी न्यायालय में बदमाश मनोज ओझा पेशी पर आया था। सुरक्षा में लगे सिपाही अशोक गौड़ को झांसे में लेकर मनोज अपनी प्रेमिका से मिलने तारामंडल इलाके में चला गया। जहां साथियों की मदद से सिपाही की हत्या कर फरार हो गया था जबकि चिलुआताल के कुशहरा गांव का रहनेवाला बदमाश चंदन सिंह १२ अगस्त २०१३ को संत कबीरनगर में पेशी के बाद ट्रेन से देवरिया लौट रहा था। गौरीबाजार और बैतालपुर के बीच चलती ट्रेन से कूदकर वह फरार हो गया था। ये कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो पुलिस महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार, लालच और गैर जिम्मेदार रवैए के कारण घटी थीं लेकिन इन घटनाओं से पुलिसकर्मियों और उनके आला अधिकारियों ने कोई सबक नहीं सीखा इसलिए शातिर एवं दुर्दांत अपराधियों के प्रति पुलिसकर्मियों की उदारता या लापरवाही का सिलसिला लगातार जारी है। समय-समय पर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। शातिर वाहन चोर मनोज ओझा को २१ फरवरी २०१६ को पेशी के लिए दिल्ली ले जाया गया था। लौटते समय वह सिपाहियों को लेकर लखनऊ के एक होटल में चला गया और वहां जमकर दावत हुई। इस दौरान मनोज ने ट्रेन में सिपाही के सरकारी असलहे के साथ फोटो खिंचवाई और अपने फेसबुक प्रोफाइल पर अपलोड कर दिया, जो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था। इसी तरह बीते सप्ताह हरदोई जेल से देवरिया कोर्ट में पेशी पर लाया गया ३ लोगों की हत्या का आरोपी गोरखपुर के होटल में अपनी प्रेमिका के साथ रंगरेलियां मनाते पकड़ा गया। जिस प्रेमिका के साथ उक्त आरोपी को पकड़ा गया, उसी के पति की हत्या के मामले में उक्त आरोपी की कोर्ट में पेशी थी।
और अब देश की राजधानी दिल्ली और यूपी की राजधानी लखनऊ से जुड़ा ताजा मामला सामने आया है। राजधानी में आतंक का पर्याय बने सीरियल किलर भाई सलीम, रुस्तम और सोहराब एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार पेशी के बहाने लखनऊ आए सोहराब ने ऐशबाग के श्री होटल में अपने परिवार के साथ दावत फरमाते मिले। इसकी सूचना पर पुलिस ने होटल में छापेमारी की तो सोहराब परिवार के साथ कमरे में मिला जबकि अभिरक्षा ड्यूटी में तैनात दिल्ली पुलिस के जवान दूसरे कमरों में आराम फरमा रहे थे। पुलिस ने सोहराब, होटल मैनेजर व दिल्ली पुलिस के छह कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया। गुरुवार को सोहराब की लखनऊ की गैंगेस्टर कोर्ट में पेशी होनी है। इसके लिए वह दिल्ली पुलिस के छह जवानों की सुरक्षा में दोपहर तीन बजे इंटरसिटी ट्रेन से लखनऊ आ गया। नियमानुसार दिल्ली पुलिस के जवानों को स्थानीय थाने पर इसकी सूचना देनी चाहिए थी, पर उन लोगों ने ऐसा न करते हुए सोहराब की पेशकश पर उसे होटल में मौज-मौस्ती करने की इजाजत दे दी। चारबाग में स्टैंड चलानेवाले सोनू रावत की मदद से सोहराब ने ऐशबाग रेलवे स्टेशन के सामने स्थित श्री होटल में तीन कमरे बुक कराए थे। कमरा नंबर २०६ में सोहराब अपनी पत्नी, बहन व भांजे के साथ रुका था, वहीं अभिरक्षा ड्यूटी में तैनात तीन-तीन पुलिसकर्मी कमरा नंबर २०१ और २०२ में सुस्ता रहे थे। पुलिस जब कमरे में दाखिल हुई तो सोहराब परिवारजनों के साथ बिरयानी खा रहा था। पुलिस को सामने देख वह बोला कि.. बिरयानी तो पूरी खा लेने देते लेकिन बाद में जब उसने भारी पुलिस फोर्स देखी तो थर्रा गया। उसने पत्नी से कहा कि.. लगता है कि आज मेरा एनकाउंटर हो जाएगा।
गौरतलब हो कि राजधानी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सीरियल किलर ब्रदर्स के नाम से कुख्यात सलीम, सोहराब, रुस्तम के नाम पर ऐसी दुस्साहसिक वारदातें दर्ज हैं कि जिनको सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं। ये वारदातें किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती हैं। घटना २००४ की है जब रमजान के पाक महीने में सलीम सोहराब रुस्तम के चौथे सबसे छोटे भाई शहजादे की लखनऊ के हुसैनगंज इलाके में कुछ दबंगों ने हत्या कर दी। भाई की हत्या का बदला सलीम, सोहराब, रुस्तम ने ठीक उसी दिन लिया। उन्होंने भाई के हत्यारों को महज एक घंटे के अंदर हुसैनगंज खतरा और मड़ियांव इलाके में जाकर मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं वारदात को अंजाम देने के बाद इन भाइयों ने तत्कालीन एसएसपी लखनऊ आशुतोष पांडे को फोन कर वारदात की सूचना भी दी थी। तिहरे हत्याकांड के बाद से सीरियल किलर ब्रदर्स के नाम से कुख्यात हुए सलीम, सोहराब, रुस्तम ने अपराध की दुनिया में वसूली हत्या सुपारी किलिंग को अंजाम देना शुरू किया। दिल्ली में ज्वेलरी शोरूम में डाका डाला तो वही वजीरगंज इलाके में बसपा सरकार के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारी और समाजसेवी सैफी की दिनदहाड़े हत्या कर दी। बाद में अपने खौफ को बरकरार रखने के लिए अमीनाबाद में किलर ब्रदर्स ने भाजपा पार्षद पप्पू पांडे की अपने खास गुर्गे सुनील शर्मा से हत्या करवा दी। इन लोगों पर संभल के पूर्व सांसद शफीक उर रहमान वर्क के नाती पैâज की चौक इलाके में गोलियों से भून कर हत्या करवाने का भी आरोप है क्योंकि पैâज की नजदीकियां सलीम, सोहराब, रुस्तम के परिवार की महिला से बढ़ने लगी थीं। इन वारदातों के अलावा सलीम, सोहराब, रुस्तम ने लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी से लेकर दिल्ली तक के व्यापारियों से रंगदारी वसूली और रंगदारी देने से इंकार करनेवालों पर जानलेवा हमले करवाए। सलीम, सोहराब, रुस्तम पर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक २ दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, रंगदारी वसूली, डकैती जैसी जघन्य घटनाएं शामिल हैं। सीरियल किलर भाई सलीम, रुस्तम और सोहराब अलग-अलग जेल में बंद हैं। दिल्ली में हुई गौरव गंभीर की हत्या के आरोप में रुस्तम फिलहाल तिहाड़ जबकि सोहराब दिल्ली के मंडावली और सलीम फतेहगढ़ जेल में बंद हैं। तिहाड़ जेल में रहने के बावजूद सलीम सोहराब रुस्तम अपराध की दुनिया में खौफ का नाम बने रहे।