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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान हटाने के सरकार के फैसले को आम कश्मीरियों ने स्वीकार कर लिया है और शांति के साथ ईद का त्यौहार मनाया गया। ईद से  पहले प्रशासन ने विभिन्न जगहों पर धारा 144 में छूट दे दी थी, ताकि लोग ईद की खरीदारी कर सकें, नमाज अदा कर सकें और ईद का त्यौहार हंसी-खुशी के साथ मना सकें।  लेकिन कश्मीरियों की यह खुशी शायद उन राजनीतिक दलों को भा नहीं रही है, जो कल तक चेतावनी देते फिरते थे कि यदि अनुच्छेद 370 या 35-ए के साथ कोई छेड़छाड़ की गई,  तो तबाही मच जाएगी। ऐसे लोग जो मोदी सरकार को आग से नहीं खेलने की चेतावनी दे रहे थे वह यह पचा नहीं पा रहे हैं कि कैसे अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर के लोगों  ने कोई विरोध नहीं किया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी इस बात की प्रतीक्षा में थे कि धारा 144 हटने के बाद कश्मीर घाटी के लोग क्या करते हैं? लेकिन जो हुआ वह  सबके सामने है। केंद्र सरकार ने इस बात के व्यापक बंदोबस्त किए थे कि आम कश्मीरियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे और लोग अमन-चैन के साथ अपने त्यौहार मना सकें,  जिसका लोगों ने स्वागत किया। आज देश में हम जब एक तरफ हंसता-खेलता कश्मीर देख रहे हैं, तो कुछ लोग ऐसे हैं, जो माहौल को गर्माने में लगे हुए हैं। दुख होता है यह देखकर  कि यह वह लोग हैं, जिन्होंने लंबे समय तक देश पर शासन किया और जो जिम्मेदार पदों को सुशोभित कर चुके हैं और जम्मू-कश्मीर मुद्दे की संवेदनशीलता से भलीभांति वाकिफ  हैं। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि यदि जम्मू-कश्मीर हिंदू बहुल राज्य होता, तो भगवा पार्टी इस राज्य का विशेष दर्जा नहीं  छीनती। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपनी ताकत से अनुच्छेद को समाप्त किया। चिदंबरम ने अपने निंदनीय बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर अस्थिर है और अंतर्राष्ट्रीय  समाचार एजेंसियां इस अशांत स्थिति को कवर कर रही हैं, लेकिन भारतीय मीडिया घराने ऐसा नहीं कर रहे हैं। चिदंबरम ने ऐसा कह कर भारतीय मीडिया को भी बदनाम करने का  प्रयास किया है। वह पहले भी कई बार भारतीय मीडिया की बजाय विदेशी मीडिया पर भरोसे वाले बयान दे चुके हैं। अब कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर भी हमेशा से अपने विवादित  बयानों को लेकर कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं। अय्यर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर को फिलिस्तीन बना दिया है। भारत  सरकार में विभिन्न मंत्रालयों के कैबिनेट मंत्री का दायित्व संभाल चुका व्यक्ति यदि कश्मीर को लेकर ऐसी बयानबाजी करता है, तो यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। एक समाचार-पत्र  में अपने लिखे आलेख में उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने हमारी उत्तरी सीमा पर जम्मू-कश्मीर को फिलिस्तीन बना दिया है। मोदी-शाह ने अपने गुरु बेंजामिन  नेतन्याहू और मेनकेम बेग से काफी कुछ सीखा है। अपने इस आलेख में वे लिखते हैं कि जैसे फिलिस्तीन को इजरायल ने रौंदा उसी तरह मोदी और शाह ने कश्मीरियों की स्वतंत्रता,  गरिमा और आत्मसम्मान को रौंदा। वहीं कांग्रेस के एक और बड़बोले नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल  से कहा कि कश्मीर समस्या का जल्दी हल कराइए, नहीं तो कश्मीर हमारे हाथ से निकल जाएगा। लगता है कि दिग्विजय सिंह की नजर भोपाल में बैठे-बैठे कश्मीर तक जाती है।  इसीलिए वह आरोप लगा रहे हैं कि आज कश्मीर जल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हाथ आग में झुलसा लिए हैं। कश्मीर को बचाना हमारी प्राथमिकता है। दिग्विजय सिंह को  यह पता होना चाहिए कि कश्मीर जल नहीं रहा है, बल्कि कश्मीर चल रहा है और पहले से अच्छा चल रहा है। कांग्रेस के इन बड़बोले नेताओं के बयान तो समझ में आते हैं, लेकिन  राहुल गांधी ने जो बयान दिया, उससे पाकिस्तान के नेताओं को समर्थन मिलता है। राहुल गांधी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से चिंताजनक खबरें आ रही हैं। वहां हिंसा और लोगों की  मरने की खबरें हैं। राहुल गांधी के इस बयान के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि राज्य में स्थिति शांतिपूर्ण है और पिछले एक हफ्ते में किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली  है। पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि पथराव की मामूली घटना को छोड़ कर किसी तरह की अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है, जिससे तत्काल निपट लिया गया था और वहीं रोक दिया गया था। वहीं राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी ने लोगों से मनगढंत खबरों पर यकीन नहीं करने को कहा और उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर में पिछले छह  दिनों में गोलीबारी की कोई घटना नहीं हुई है। देखा जाए, तो राहुल गांधी को चाहिए कि कश्मीर पर सिर्फ अपनी पार्टी के नेताओं की ओर से पेश की जा रही रिपोर्टों पर यकीन नहीं  करते हुए जरा सरकारी एजेंसियों के बयानों को भी देख लें, तो बार-बार ऐसी गंभीर भूल करने से बच जाएंगे। बहरहाल, कांग्रेस नेताओं के इन बयानों से साफ है कि कश्मीर मुद्दे पर  पार्टी के वही नेता सवाल उठा रहे हैं, जो गांधी परिवार के भक्त हैं, वरना जरा कांग्रेस की नयी पीढ़ी के नेताओं को देख लीजिए। अधिकतर ने अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार  के फैसले का समर्थन किया है। यही नहीं कश्मीर के पूर्व महाराजा और सदरे-रियासत डॉ. कर्णसिंह ने भी मोदी सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा  चुनाव जीतने के बाद जब अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर धन्यवाद व्यक्त करने गए थे, तब उन्होंने अपने संबोधन में 'पेशेवर निराशावादी' शब्द का उल्लेख किया था, जो कि   आज के संदर्भ में चिदंबरम, अय्यर और दिग्विजय जैसे नेताओं पर एकदम फिट बैठते हैं।


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