नौ महीने से चल रहा आंदोलन भी नहीं दिला पा रहा माहुलवासियों को न्याय
मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने माहुलगांव के लोगों को उचित और प्रदूषणमुक्त स्थान पर घर देने अथवा वैकल्पिक व्यवस्था होने तक किराया देने का आदेश दिया है। इसके बावजूद राज्य सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। इससे माहुलवासियों को लगता है कि सरकार उनकी बलि लेना चाहती है। माहुलवासियों का नौ महीने से चल रहा आंदोलन भी उन्हें न्याय नहीं दिला पा रहा है। गौरतलब है कि साल 2017 में मुंबई के घाटकोपर इलाके के लोगों को यहां लाकर बसाया गया है। ये लोग घाटकोपर इलाके के तानसा पाइपलाइन के पास रह रहे थे। इन लोगों को हटाने का फैसला 2009 के बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले के अनुरूप किया गया जिसमें कहा गया था कि पाइपलाइन के आसपास 10 मीटर तक के क्षेत्र में कोई भी रिहाइशी मकान नहीं हो सकता। 'घर बचाओ, घर बनाओ' के कार्यकर्ता बिलाल खान के मुताबिक, सरकार का काम है जनता के साथ न्याय करना। अगर किसी परियोजना से बाधित जनता को कहीं अन्य स्थान पर बसाया गया हो और वह स्थान रहने लायक नहीं हो, तो सरकार को उन्हें तुरंत ऐसे स्थान से दूर ले जाना चाहिए और हर व्यक्ति के हित में उपाय करना चाहिए। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है। नौ महीने से माहुलवासियों का आंदोलन चल रहा है, सरकार की तरफ से एक समिति गठित की गई। इस समिति ने अब तक क्या किया और कितने लोगों को अन्य स्थान पर बसने में मदद की, कभी इसकी सुध भी नहीं ली गई। इससे लगता है कि सरकार को माहुलवासियों की कोई फिक्र नहीं है।'
खान के मुताबिक, अदालत ने सरकार को सुरक्षित स्थान पर घर देने के आदेश दिया है। मगर सरकार की तरफ से इतनी बड़ी संख्या में घर उपलब्ध नहीं होने का बहाना बनाया रहा है। उसके पास मुंबई में विभिन्न योजनाओं के तहत 50 हजार से अधिक घर उपलब्ध हैं, लेकिन सरकार इन घरों को स्थाई तौर भी माहुलवासियों को देने के लिए राजी नहीं है।
माहुल की हवा रहने लायक नहीं है। यहां के प्रदूषण से लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। बिलाल खान ने दावा किया कि माहुल में हर परिवार में कम से कम एक सदस्य को टीबी है। इससे इस बीमारी के फैलने के आसार हैं। उनका कहना है, ' एक बार फिर से माहुल के लोग सोचने पर मजबूर हैं कि अगर सरकार अदालत के आदेशों को नहीं मानती, शांतिप्रिय तरीके से होने वाले आंदोलनों की आवाजें नहीं सुनती है, तो फिर सरकार को जगाने के लिए और कौन-सी तरकीब ढूंढी जाए।'