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मुंबई, किसी शहर में कोई ऐसी चीज बनती है कि वह उस शहर की न सिर्फ पहचान बन जाती है बल्कि लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हो जाती है। मुंबई की रफ्तार को गति देने के लिए दक्षिण मुंबई के प्रिंसेस स्ट्रीट प्लाइओवर से कांदिवली तक २९ किमी बनने जा रही कोस्टल रोड मुंबई और मुंबईकरों की तस्वीर बदल देगी।

चरणबद्ध तरीके से बननेवाला कोस्टल रोड इन दिनों कानूनी पेंच में फंसता जा रहा है। समुद्र में बननेवाले इस कोस्टल रोड से समुद्री जीवों और पर्यावरण को नुकसान होने की पर्यावरण विशेषज्ञों की याचिका पर मुंबई उच्च न्यायालय ने दो बार कोस्टल रोड के कामों पर रोक लगा दी है। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां से एक बार फिर परियोजना के कार्य को रोकने का आदेश दिया गया। इस रोक से जहां परियोजना की लागत पर असर पड़ेगा वहीं इस कोस्टल रोड के लिए मुंबईकरों के इंतजार की घड़ी का कांटा भी बढ़ता जाएगा। हाल ही में मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा कोस्टल रेगुलेशन जोन में कंस्ट्रक्शन की इजाजत को रद्द कर कोस्टल रोड कार्य पर लगाई गई रोक से मनपा को एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिलती दिखाई दे रही है। २० अगस्त को होनेवाली सुनवाई में हाईकोर्ट की रोक हटाई जा सकती है। ऐसी संभावना मनपा प्रशासन जता रहा है।

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