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मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट के मराठा आरक्षण पर फैसले को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जीत के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना गठबंधन को इसका फायदा मिल सकता है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि फडणवीस यह दावा भी कर सकते हैं कि उनसे पहले कोई मुख्यमंत्री यह सफलता हासिल नहीं कर सका था। पहले की कांग्रेस-एनसीपी और बीजेपी सरकारों से सबक लेते हुए सीएम ने ऐसा विधेयक तैयार किया जो कोर्ट में खड़ा रह सका। फडणवीस ने विधानसभा को नवंबर 2018 में SEBC ऐक्ट पास करने के लिए बधाई दी और कहा कि सरकार ने बिना ओबीसी कोटा से छेड़छाड़ किए मराठा आरक्षण दिया है। 

पाला बदल सकता है मराठा समाज 

राजनीतिक जानकार प्रकाश पवार ने कहा है कि मराठा कांग्रेस-एनसीपी के साथ खड़े रहे, अब हो सकता है वे बीजेपी-शिवसेना के पाले में चले जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि शायद यह मराठा (जातिगत) राजनीति का अंत हो। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा है कि मराठा आरक्षण का फैसला असल में कांग्रेस-एनसीपी ने लिया था। उन्होंने कहा, बीजेपी सरकार ने इस मांग को गंभीरता से नहीं लिया। वे तब जागे जब मराठाओं ने प्रदर्शन किया।' 

हाल ही में शिवसेना में शामिल हुए मराठा नेता नरेंद्र पाटिल ने आदेश का स्वागत किया। पूर्व उपमुख्यमंत्री और ओबीसी नेता छगन भुजबल ने कहा कि सभी समुदायों को खुशी होगी क्योंकि मराठा कोटा मौजूदा किसी कोटा पर असर नहीं डालता। ओबीसी विधायक हरिभाऊ राठौड़ जातिगत जनगणना की मांग की। उन्होंने कहा, राज्य को जातिगत आबादी और रोजगार-शिक्षा में हिस्से के आंकड़े देने चाहिए। कोई डेटा मांगेगा और केस चलता जाएगा।' 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार के मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण देने के फैसले की वैधता को बरकरार रखा है। हालांकि, इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि राज्य पिछड़ा आयोग द्वारा प्रस्तावित कोटा को 16 फीसदी से घटाकर 12-13 फीसदी कर देना चाहिए। बता दें कि पिछले साल 30 नवंबर को राज्य सरकार ने विधानसभा नें मराठाओं को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 16 फीसदी आरक्षण देने को लेकर विधेयक पारित किया था। इसके बाद विधेयक के खिलाफ कई याचिकाएं हाई कोर्ट में डाली गई थीं। 


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