१८ कंपनियों की दवाएं जांच में खरी नहीं
मुंबई : जन औषधि योजना के तहत बांटी जानेवाली देश की १८ फार्मा कंपनियों की दवाओं के २५ बैच गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। इनमें मधुमेह, दर्द निवारक और हाईपरटेंशन जैसी बीमारियों की कई दवाइयां शामिल हैं। ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) ने जांच में पाया है कि जनवरी २०१८ से इन १८ फार्मा कंपनियों की दवाओं के २५ बैच की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं थी। बीपीपीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन सिंह ने इस बारे में एक सवाल पर कहा कि जिन आपूर्ति कर्ताओं के उत्पाद गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है। बीपीपीआई की रिपोर्ट के मुताबिक जो बैच मानक के अनुरूप नहीं पाए गए हैं, उनमें एएमआर फार्मा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की मधुमेह-रोधी वोगिलबोस और हाईपरटेंशन की टेलमीसार्टन दवाओं का एक बैच शामिल है। इसके अलावा नवकेतन फार्मा की दर्द-निवारक निमोसुलाइड और नेस्टर फार्मा पैरासिटामॉल के भी बैच मानक के अनुरूप नहीं मिले हैं। हेनुकेम लैबोरेट्रीज की एंटीबायोटिक सिप्रोफ्लोक्सेसिन और ओस्मेड फॉर्मूलेशन की हाईपरटेंशन के लिए एनालैप्रिल दवा का बैच मानक के अनुरूप नहीं है। एसिडिटी के लिए दी जाने वाली आईडीपीएल की पैंटोप्रैजोल का एक बैच भी मानक पर खरा नहीं उतरा है। इसके अलावा बायोजेनेटिक्स ड्रग्स, विंग्स बायोटेक, जेनिथ ड्रग्स और क्वालिटी फार्मास्युटिकल्स की दवाएं भी सही नहीं मिलीं। ओवरसीज हेल्थ केयर, हनुकेम लैबोरेट्रीज, लीजेन हेल्थकेयर, एएमआर फार्मा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जैकसन लैबोरेट्रीज, मस्कट हेल्थ सीरीज और टैरेस फार्मास्युटिकल्स को दो साल के लिए काली सूची में डाला गया है।