...तो ब्लड बैंकों का हो सकता है लाइसेंस रद्द
मुंबई : आपातकाल या किसी गंभीर बीमारी के दौरान समय पर खून न मिलने से इंसान की जान तक चली जाती है। ऐसे में खून की उपलब्धता और इसकी जानकारी को आसान करने के लिए सरकार ने ई-रक्तकोष नामक वेबसाइट शुरू की है, लेकिन ब्लड बैंकों द्वारा इस पर नियमित रूप से जानकारी नहीं भरी जाती है। इसके कारण आपातकाल के दौरान मरीजों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। मामले की गंभीरता को लेते हुए प्रशासन ने सभी ब्लड बैंकों को नियमित रूप से जानकारी भरने को कहा है। ऐसा न करने पर ब्लड बैंकों का लाइसेंस रद्द हो सकता है।
सड़क दुर्घटना के बढ़ते मामलों और कई तरह की ब्लड डिसऑर्डर की बीमारियों के चलते खून की मांग आए दिन बढ़ रही है। हालांकि समय पर ब्लड न मिलने से मरीज सहित परिजन को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो परिजन को मजबूरन रिप्लेसमेंट ब्लड यानि खून के बदले खून देना पड़ता है।
केवल 50 प्रतिशत ब्लड बैंक देते हैं जानकारी
ब्लड की समस्याओं और वेबसाइट पर स्टॉक की जानकारी अपडेट न किए जाने को लेकर हाल ही में राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के कमिश्नर डॉ. अनूप कुमार यादव ने एक बैठक की थी। इसमें महानगर के सभी ब्लड बैंकों से वेबसाइट पर स्टॉक की दी जाने वाली जानकारी मांगी गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, केवल 50 प्रतिशत ब्लड बैंक ही ई-रक्तकोष की वेबसाइट पर ब्लड स्टॉक की जानकारी देते पाए गए। मामले को गंभीरता से लेते हुए डॉ. अनूप कुमार ने मुंबई के सभी 60 ब्लड बैंकों को नियमित रूप से वेबसाइट अपडेट करने का आदेश दिया। साथ ही संबंधित अधिकारियों को एक महीने बाद इसकी एक रिव्यू मीटिंग करने को भी कहा। एक महीने बाद भी ब्लड बैंक वेबसाइट पर स्टॉक की जानकारी नहीं देते तो उनका लाइसेंस तक निरस्त करने की चेतावनी दी गई है।
इसलिए नहीं देते जानकारी
ब्लड बैंक से जुड़े एक कर्मचारी ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि ज्यादातर ब्लड बैंक अस्पतालों में होते हैं। नतीजतन अस्पताल अपने मरीजों के लिए ब्लड रिजर्व रखते हैं और वेबसाइट पर जानकारी नहीं देते। वेबसाइट पर जानकारी देने से स्टॉक के बारे में दूसरों को भी पता चल जाता है और कोई भी ब्लड के लिए आ सकता है। यही कारण है कि अपने मरीजों की प्राथमिकता को देखते हुए कई बार लोग ऑनलाइन जानकारी देने से बचते हैं। इसके अलावा कई बार इंटरनेट की दिक्कत या किसी भी तरह की तकनीकी समस्याओं के कारण भी ऐसा नहीं हो पाता।