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मुंबई : लोकतंत्र के इस महाकुंभ में महाराष्ट्र के 17 विधायक दिल्ली के दरबार जाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे थे, जिनमें छह की नैया पार हो गई है। इन विधायकों को लोकसभा चुनाव नतीजे घोषित करने से 14 दिन के अंदर विधायकी से इस्तीफा देना होगा। ऐसा नहीं करने पर उनके जीत का सेहरा उतर सकता है। फडणवीस सरकार के चर्चित कैबिनेट मंत्री गिरीष बापट पुणे से लोकसभा चुनाव जीत गए हैं। अब वे दिल्ली दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए उत्सुक हैं। बापट ने कांग्रेस के मोहन जोशी को पराजित किया है। बीजेपी के ही चालीसगांव से विधायक उन्मेष पाटील ने राकांपा के गुलाबराव पाटील को पछाड़ा है। अब वे भी दिल्ली के लिए कूच कर जाएंगे। कांग्रेस की शान बचाए रखने वाले शिवसेना के बागी विधायक सुरेश धानोरकर ने चंद्रपुर से बीजेपी के दिग्गज व केंद्र में मंत्री रहे हंसराज अहिर को चारों खाने चित कर दिया है।
कांग्रेस यही एक सीट जीत सकी है। नांदेड दक्षिण विधानसभा से शिवसेना के विधायक हेमंत पाटील हिंगाली से सांसद बन गए हैं। लोहा विधानसभा से शिवसेना के विधायक प्रताप चिखलीकर ने कांग्रेस के दिग्गज नेता व प्रदेश के मुखिया अशोक चव्हाण का विकेट ले लिया, जो देशभर में चर्चा का विषय है। चिखलीकर ने अशोक चव्हाण को 40,010 मतों से अंतर से पराजित किया। औरंगाबाद लोकसभा के त्रिकोणीय लड़ाई में एमआईएम के विधायक इम्तियाज अली ने शिवसेना के दिग्गज चंद्रकांत खैरे को पराजित कर किया है। शिवसेना के विधायक हर्षवर्धन जाधव भी अपना किस्मत आजमा रहे थे। यहां से विधानसभा के दो विधायक इम्तियाज अली और हर्षवर्धन के अलावा विधान परिषद के सदस्य सुभाष जांबड को कांग्रेस ने उतारा था।
पराजित विधायक की घर वापसी
इस लोकसभा में किस्मत अजमाने वाले पराजित विधायकों की संख्या 11 हैं। कांग्रेस के विधायक के.सी. पडवी, कुणाल पाटील और भाऊसाहेब कांबले को पराजय का मुंह देखना पड़ा है। विधान परिषद के सदस्य सुभाष जांबड के कांग्रेस ने औरंगाबाद से उतारा था। वे भी हार गए। बीजेपी से बागी बने धुले से विधायक अनिल गोटे बह गए। गोटे ने विधायकी से पहले ही इस्तीफा दे दिया है। अब वे न विधानसभा के रहे और न अपने मतदान क्षेत्र के।
भारित बहुजन महासंघ के विधायक के बलिराम सिरस्कार, माकपा के एकमात्र विधायक जीवा पांडू गावित और राकांपा के संग्राम जगताप का नाम भी पराजित खिलाड़ियों में शामिल हैं। संग्राम जगताप अपने राजनीतिक आका शरद पवार के उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके। उन्हें राधाकृष्ण विखे पाटील के बेटे डॉ. सुजय विखे पाटील ने पराजित किया। राकांपा के ही विधायक राणा जगजीत सिंह पाटील उस्मानाबाद से लड़ रहे थे, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा।
कन्नड विधानसभा से शिवसेना के विधायक हर्षवर्धन जाधव ने भी विधायकी से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी के उम्मीदवार चंद्रकांत खैरे के सामने चुनाव मैदान में कूंद पड़े। इनकी विधायक गई और चुनाव भी हार गए गए। उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के विधायक सुभाष पासी ने दिल्ली जाने का रास्ता महाराष्ट्र को चुना, लेकिन उनकी साइकल की हवा उत्तर पश्चिम मुंबई लोकसभा में ही निकल गई।

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