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मुंबई : सूखे को लेकर उठाए गए कदम पर राज्य सरकार की तरफ से बॉम्बे हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया गया। हाईकोर्ट ने सरकार पर नाराजगी जताते हुए शुक्रवार तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था और अगली सुनवाई 27 मई को तय कर रखा है। याचिकाकर्ता डॉ. संजय लाखे पाटील ने हलफनामे में न्याय अधिकार क्षेत्र पर उठाए मुद्दे को निराधार बताया। पाटील ने कहा कि सूखा जैसे मुद्दे पर सरकार को गंभीरता से जवाब देना चाहिए। न्याय अधिकार क्षेत्र को लेकर पहले भी सुनवाई हो चुकी है। याचिकाकर्ता के मुताबिक, राज्य सरकार ने गुरुवार को हलफनामा दायर किया है। इसकी प्रति उन्हें मुहैया कराई गई है। इसमें सरकार ने अब तक सूखा से निपटने के लिए उठाए गए उपाय व योजना के बारे में बताया है। कमजोर मॉनसून के बाद सरकार ने अक्टूबर में 358 में से 151 तहसील को सूखा ग्रस्त घोषित किया है। सरकार ने सूखा से निपटने के लिए 4 हजार 909 करोड़ रुपये दिए हैं। इसमें से जिला प्रशासन ने सूखा से निपटने के लिए बनाए गए प्रावधानों के तहत 4,412 करोड़ रुपये 67 लाख 32 हजार 96 किसानों के सीधे बैंक खाते में जमा कराए हैं।
इसी हलफनामे में सरकार ने दायर याचिका के न्याय अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए खारिज करने की मांग किया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सोमवार को हाई कोर्ट में सूखा मामले में सुनवाई है। उनकी याचिका हाई कोर्ट में सूखा जैसे गंभीर मुद्दे पर है और सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों को लेकर है। सरकार राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के कार्य और खर्च पर चुप्पी साधे है। खरीफ फसल के लिए 31 मार्च तक सूखा घोषित करना होता है, लेकिन सरकार ने इस पर चुप्पी साध रखी है। इसीलिए वे सूखा पर अपने उठाए गए सवालों को हाई कोर्ट में रखेंगे।
छोटे जानवरों के लिए एक दिन में 10 लीटर पानी : याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार की तरफ से एक मनुष्य के लिए हर दिन 20 लीटर, छोटे जानवरों के लिए10 लीटर और बड़े जानवरों के लिए 35 लीटर पानी देने की बात कही गई है। यह सभी मुद्दे सरकार के हलफनामा में है। पिछली सुनवाई में मुख्य सरकारी वकील गैर-हाजिर थे। अब सोमवार को सरकार की तरफ से होने वाली जिरह पर नजर रहेगी।

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