Latest News

मुंबई : विरोधी बढ़-चढ़कर बातें कर रहे थे। एग्जिट पोल्स के दावों को गलत बता रहे थे। अपनी-अपनी डफली लेकर अपना-अपना राग अलाप रहे थे। सभी को था कल २३ मई का इंतजार। सुबह हुई। गिनती शुरू हुई और हुआ धमाका। २०१४ की तरह फिर एक बार विपक्ष पर शिवसेना-भाजपा युति का जोरदार प्रहार हुआ और केंद्र में एनडीए सरकार की वापसी तय हो गई। लातूर में जब शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और पीएम नरेंद्र मोदी ने एक साथ मंच पर गर्जना की थी तभी फिर एक बार एनडीए सरकार की वापसी के संकेत मिलने लगे थे। ऐसे में कल सुबह जब गिनती शुरू हुई तो मुंबई, दिल्ली, पटना, बनारस, भोपाल, इलाहाबाद, लखनऊ, गुना जैसे प्रमुख शहरों के साथ राजस्थान, गुजरात, हिमाचल, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, असम, अरुणाचल समेत तमाम राज्यों में एनडीए की विजयी पताका शानदार तरीके से लहराने लगी। सबसे धमाकेदार रही पश्चिम बंगाल में भाजपा की घुसपैठ। दीदी की मजबूत किलेबंदी को ध्वस्त करना कोई आसान काम नहीं था।

इस बार के चुनाव परिणाम काफी आश्चर्यजनक कहे जाएंगे। इसका कारण है कि विपक्ष केंद्र सरकार के खिलाफ पूरी तरह से आक्रामक था। २०१४ में तो यूपीए की सरकार थी और एनडीए ने तब उस सरकार के घोटालों व भ्रष्टाचार को जनता दरबार में जोरदार तरीके से उठाया था। महंंगाई से जनता त्रस्त थी और उसे मोदी के रूप में एक ऐसा शख्स नजर आया, जो उसे तमाम समस्याओं से तार सकता था। २०१४ में एनडीए को रिकॉर्ड ३३६ सीटें मिली थीं। अपने ५ वर्षों के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने कुछ कड़े पैâसले लिए थे, इससे जनता प्रभावित हुई और तब माना गया था कि २०१९ में इसका असर देखने को मिलेगा। चुनाव के करीब ६-८ महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना मेकओवर किया और राफेल को मुद्दा बनाकर मैदान में कूद पड़े। पीएम मोदी के लिए उन्होंने आपत्तिजनक शब्दों के प्रयोग के साथ निजी हमले भी शुरू किए। इसके साथ कहीं गठबंधन हो रहा था तो कहीं महागठबंधन। इसलिए राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग का मानना था कि इस बार मोदी सरकार की वापसी आसान नहीं रहेगी। खासकर देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में सपा-बसपा महागठबंधन होने के बाद यह राह कुछ मुश्किल लगने लगी थी। ८० सीटोंवाली यूपी में पिछली बार एनडीए को कुल ७३ सीटें मिली थीं और बाकी सबका सूपड़ा साफ हो गया था। मगर इस बार यूपी की जनता ने जाति-पांति को धता बताते हुए विकास और राष्ट्रवाद को प्रमुखता देते हुए एनडीए को भारी जीत दिलाई। हालांकि कुछ सीटें यूपी में कम जरूर हुर्इं पर दीदी के बंगाल में उसकी भरपाई हो गई।

पश्चिम बंगाल की जीत सबसे अभूतपूर्व कही जाएगी। वहां करीब ३ दशकों तक माकपा का शासन रहा। दीदी ममता बनर्जी ने माकपा से अकेले लोहा लेकर उसके किले को ध्वस्त कर दिया और टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) राज्य की सत्ता पर काबिज हुई। माकपा का हिंसक वैâडर टीएमसी में शिफ्ट हो गया और यही कैडर वहां चुनाव के दौरान बम-गोलियां बरसा रहा था। बंगाल में जिम तरह हिंसा हुई और वोटरों को रोका गया, उसका प्रभाव परिणाम पर पड़ना ही था। अगर वहां पूरी कड़ाई की गई होती और हर बूथ पर पर्याप्त सुरक्षा बल मुहैया कराए गए होते तो निश्चित ही कहानी कुछ दूसरी बनती। इसके बावजूद कल दोपहर बाद के वक्त मतगणना के दौरान भाजपा ने रुझान के मामले में टीएमसी पर लीड ले ली थी। फिर भी बंगाल में २ सीट का बढ़कर १८ हो जाना भाजपा की कोई कम बड़ी उपलब्धि नहीं कही जा सकती। बंगाल का यह ट्रेंड बताता है कि बंगाल को दीदी की तानाशाही से छुटकारा चाहिए और वह विकास की बयार का सुख लेना चाहता है। इसके साथ ही दीदी ने मुस्लिम तुष्टिकरण का जो गंदा खेल खेल रखा है, जनता को उससे भी मुक्ति चाहिए। अगले चुनाव में दीदी का सफाया नजर आ रहा है। सबसे आश्चर्यजनक तो राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के परिणाम रहे। अभी बमुश्किल ६ महीने पूर्व ही तो कांग्रेस ने इन राज्यों में सत्ता संभाली थी। राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया। गुना से कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार को आप क्या कहेंगे? राजनीति की नौसिखिया साध्वी प्रज्ञा और घाघ दिग्विजय सिंह की टक्कर तो राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना और इसके साथ ही हमेशा हिंदुत्व और भगवा को कोसनेवाले दिग्विजय ने जो हजारों साधुओं का काफिला रोड पर उतारा, उसे भी लोगों ने देखा। पर ये नेता भूल जाते हैं कि ऐसे ढोंग आपके प्रति जनता की नफरत को बढ़ाते ही हैं। कमोबेश यही हाल पूरे देश का है। २०१९ का जनादेश काफी विराट है। विपक्ष के नकारात्मक व झूठे प्रचार को जनता ने नकार दिया है। आएगा मोदी ही और एक बार फिर मोदी सरकार के नारे साकार हो चुके हैं।


Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement