बेरोजगारी-महंगाई के खिलाफ कांग्रेस ने निकाली पदयात्रा
मुंबई, देश की जनता को अच्छे दिन का झूठा सपना दिखाकर केंद्र की सत्ता में आई बीजेपी ने पिछले 7 साल में आम जनता का जीवन बेहाल कर दिया है। आसमान पर चढ़ती महंगाई, डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस की दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती कीमतें और बेरोजगारी ने जनता की कमर तोड़ दी है। यह आरोप कांग्रेस ने लगाया है।
कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ तीव्र आंदोलन छेड़ दिया है। इसी के तहत रविवार को संविधान निर्माता बाबासाहेब आंबेडकर के दादर स्थित निवास स्थान राजगृह से लेकर शिवाजी पार्क स्थित चैत्यभूमि तक विशाल पदयात्रा निकाली। पदयात्रा में मुंबई और महाराष्ट्र कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ केंद्रीय नेता के.सी. वेणुगोपाल और महाराष्ट्र प्रभारी एच.के. पाटील ने भी हिस्सा लिया।
इस मौके पर वेणुगोपाल ने कहा कि आज की यह पदयात्रा केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ युद्ध का आगाज है। वहीं, पाटील ने कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से देश में बढ़ रही महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ आम जनता में कितना आक्रोश है, यह इस पदयात्रा में दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि हाल में विभिन्न विधानसभाओं के लिए हुए उपचुनावों में भी जनता ने देशभर में मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया है। 6 साल के भीतर ही पेट्रोल और डीजल की कीमत 100 रुपये के पार चली गई है। रसोई गैस का जो सिलिंडर पहले 400 रुपये में मिलता था, वही 900 रुपये में मिल रहा है।
पदयात्रा में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण, मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष भाई जगताप, कार्याध्यक्ष चरण सिंह सपरा, मुंबई के पालक मंत्री असलम शेख, स्कूली शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के कार्य अध्यक्ष नसीम खान और चंद्रकांत हंडोरे, पूर्व सांसद संजय निरुपम और भालचंद्र मुणगेकर समेत बड़ी संख्या में कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल थे।
केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दावा करने वाले कांग्रेसी राजगृह के बाहर आपस में ही भीड़ गए। खबरों के मुताबिक, मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष भाई जगताप, मुंबई यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष विधायक जीशान सिद्दीकी और युवा नेता सूरज सिंह ठाकुर के बीच राजगृह के भीतर जाने को लेकर विवाद हुआ। विधायक होने के कारण जीशान सिद्धीकी राजगृह के भीतर जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। बाद में यह सफाई दी गई कि अंदर जाने के लिए सिर्फ 10 लोगों को ही इजाजत थी, इसलिए वरिष्ठ नेता गए। इधर, खबरों के मुताबिक, जीशान को जिस ट्रक पर वरिष्ठ नेता मौजूद थे, उस पर चढ़ने से भी रोका गया। इससे नाराज सिद्दीकी पदयात्रा बीच में ही छोड़ कर चले गए। बाद में सिद्धीकी ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें बाबासाहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करने से रोका गया। वह इस घटना के बारे में वरिष्ठ नेताओं को अवगत कराएंगे।