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मुंबई, पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे का प्रयास रंग लाया है। आरे कॉलोनी में मेट्रो कारशेड निर्माण का विरोध करनेवाले 29 आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को राज्य की महाविकास आघाडी सरकार ने वापस ले लिया है। बोरीवली अदालत में राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट में बुधवार को रिपोर्ट पेश कर 29 लोगों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसके बाद कोर्ट इन लोगों पर दर्ज मामले वापस लेने की अनुमति दी।
रिपोर्ट में अधिवक्ता ने कहा कि इस आंदोलन में शामिल ये लोग छात्र एवं पर्यावरण संरक्षण कार्य से जुड़े हुए लोग हैं। इनमें से कोई भी आपराधिक पृष्ठभूमि से नहीं हैं। यहां तक कि गैरजमानती धाराओंवाले मामले भी वापस लेने की अनुमति कोर्ट ने दी है।
उल्लेखनीय है कि इस कारशेड के निर्माण से हजारों वृक्षों को काटा जाना था। लेकिन युवासेना आदित्य ठाकरे भी पर्यावरण संरक्षण के लिए मैदान में उतरे, जिसके बाद आंदोलन तीव्र हो गया था। पुलिस ने इस मामले में आंदोलनकारियों पर मामला दर्ज किया था। पुलिस ने 2019 में आरे कॉलोनी में मेट्रो कारशेड निर्माण के दौरान पेड़ काटने का विरोध करने के लिए कथित तौर पर धक्का-मुक्की करने के आरोप में इन लोगों को गिरफ्तार किया था।
उक्त आंदोलन को युवासेनाप्रमुख व वर्तमान में राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने पूरा समर्थन दिया था, तब शिवसेना ने एलान किया था कि यदि शिवसेना सत्ता में आएगी तो आरे में कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लिए जाएंगे। महाविकास आघाडी सरकार बनते ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आंदोलनकारियों पर दर्ज मामले वापस लेने का आदेश दिया।
हालांकि मुंबई हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2019 में मेट्रो कारशेड परियोजना के लिए गोरेगांव में आरे कॉलोनी के एक हिस्से को खाली करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद प्रशासन द्वारा पेड़ काटने का पर्यावरण से जुड़े लोगों एवं छात्रों ने इसका विरोध कर आंदोलन किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आंदोलन छात्र और पर्यावरण सेवक शामिल थे। इन लोगों का कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। आंदोलन के दौरान किसी को चोट नहीं आई थी। जनहित में मामले वापस लेने पर किसी ने कोई आपत्ति भी नहीं जताई है।



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