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मुंबई, महाराष्ट्र में पालतू पशुओं की असंख्य दुकानों के गैरकानूनी तरीके से चलने पर संज्ञान लेते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को यह बताने का निर्देश दिया कि असल में कितनी दुकानों के पास वैध मंजूरी है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ शिवराज पाटणे की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पालतू पशुओं की अवैध दुकानों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है।
पाटणे की वकील संजुक्ता डे ने कहा कि पालतू पशुओं की अवैध दुकानों को तत्काल बंद करने के उच्च न्यायालय के 2019 के आदेश के बावजूद असंख्य दुकानें बिना आवश्यक अनुमति के चल रही हैं।
याचिकाकर्ता की वकील ने कहा कि वह खुद शहर के क्रोफोर्ड बाजार और कुर्ला इलाकों में पालतू पशुओं की अवैध दुकानों में गयी थीं। डे ने कहा, ‘‘ये दुकानें विदेशी पक्षियों और कुत्तों की प्रतिबंधित प्रजातियों की बिक्री कर रही हैं।’’
वकील ने दलील दी कि पशु अत्याचार रोकथाम कानून, 1960 में मौजूद प्रावधानों के बावजूद राज्य में चल रही पालतू पशुओं की ज्यादातर दुकानों ने लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं दिया।
पीठ ने कहा कि 2019 में सुनवाई के दौरान राज्य पशु कल्याण बोर्ड ने उच्च न्यायालय को बताया था कि इस कानून के प्रावधानों के तहत पालतू पशुओं के दुकानों के मालिकों को पंजीकरण के लिए बोर्ड के समक्ष अर्जी देनी होगी और संतुष्ट होने पर बोर्ड पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करेगा।
अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 30 अगस्त की तारीख तय कर दी।

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