शरद पवार का मोदी सरकार पर हमला, महाराष्ट्र विधानसभा से बने कानून में दखल नहीं दे सकती सरकार
मुंबई : मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार से पहले को-ऑपरेशन (सहकारिता मंत्रालय) के नाम से एक नया विभाग बनाया गया था। सहकारिता मंत्रालय को लेकर दिग्गज नेता और एनसीपी चीफ शरद पवार ने सवाल खड़े किए हैं। पवार ने मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा से मंजूर हो चुके कानूनों में दखल देने का केंद्र सरकार को कोई अधिकार नहीं है। बता दें कि अभी सहकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास है।
शरद पवार के इस बयान से केंद्र के नए सहकारिता मंत्रालय को लेकर विपक्षी दलों की जंग शुरू होती दिख रही है। शरद पवार ने अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा, 'ऐसी चर्चा हो रही है कि केंद्र सरकार का नया सहकारिता मंत्रालय महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन की राह में अवरोध खड़ा करेगा। लेकिन ये चर्चा बेकार है क्योंकि संविधान के मुताबिक प्रदेश में सहकारी कानून बनाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। महाराष्ट्र विधानसभा में इसी आधार पर सहकारिता विभाग से संबंधित कानून बनाए गए हैं। केंद्र को महाराष्ट्र विधानसभा से तैयार हुए कानूनों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।'
इस दौरान पवार ने कहा कि मल्टि स्टेट बैंक केंद्र सरकार के दायरे में आते हैं लेकिन सहकारिता मंत्रालय कोई नया मुद्दा नहीं है। पवार ने याद दिलाया कि जब वो 10 साल तक देश के कृषि मंत्री थे, तब भी ये एक मुद्दा था। ऐसे में बहुराज्य सहकारी संस्थाएं दो दो अलग-अलग राज्यों में संचालित होती हैं, उनका अधिकारी केंद्र सरकार के पास जाने को स्वतंत्र है। बताते चलें कि 2013 में भी गुजरात हाई कोर्ट ने 97वें संविधान संशोधन के कुछ बिंदुओं को खारिज किया था। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार सहकारी संस्थाओं से जुड़े नियम-कानून नहीं बना सकती, क्योंकि यह पूरी तरह से राज्य का मामला है।