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मुंबई : महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में फर्जी टीकाकरण घोटाले के मुख्य आरोपित मनीष त्रिपाठी को चार जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। मुंबई दो हजार से अधिक लोग फर्जी टीकाकरण का शिकार हुए हैं। इस मामले में अब तक कई आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इधर, महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को गुरुवार को बताया कि मुंबई में अब तक 2053 लोग कोरोना रोधी टीकाकरण के फर्जी शिविरों के शिकार बने हैं। मुंबई शहर में अब तक नौ फर्जी वैक्सीन शिविर लगाए जाने की जानकारी मिली है। राज्य सरकार के अधिवक्ता मुख्य लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने कोर्ट को बताया कि शहर में अब तक कम से कम नौ फर्जी शिविरों के सिलसिले में चार अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।

राज्य सरकार ने इस मामले में जारी जांच संबंधी स्थिति रिपोर्ट भी अदालत में दाखिल की। चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ को महाराष्ट्र की ओर से सूचित किया गया पुलिस ने अब तक 400 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। जांचकर्ता आरोपित डाक्टर का पता लगाने में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि उपनगर कांदीवली की एक आवासीय सोसाइटी में फर्जी टीकाकरण शिविर लगा था। उस मामले में एक डाक्टर आरोपित है। ठाकरे ने कहा कि कम से कम 2,053 लोग इन फर्जी टीकाकरण शिविरों का शिकार बने। इन शिविरों के आयोजन के मामले में चार प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। कुछ आरोपितों की पहचान हो चुकी है, वहीं अनेक अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई है। पीठ ने राज्य की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए कहा कि राज्य सरकार और निगम अधिकारियों को इस बीच पीड़ितों में फर्जी टीकों के दुष्प्रभाव का पता लगाने के लिए उनकी जांच करवाने के लिए कदम उठाने चाहिए। उसने कहा, हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि टीका लगवाने (फर्जी टीकाकरण शिविरों में) वाले इन लोगों के साथ क्या हो रहा है। उन्हें क्या लगाया गया और फर्जी टीके का क्या असर पड़ा।

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