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मुंबई : सरकार 1 जून से निश्चित तौर पर लॉकडाउन की पाबंदियों में कुछ छूट देगी, लेकिन इसमें फिलहाल लोकल ट्रेनों को शामिल नहीं किया जाएगा। रेलवे के एक आला अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों से हुई अनौपचारिक चर्चा में सामने आया है कि लोकल ट्रेनों में सामान्य यात्रियों को शामिल करने के लिए लंबा इंतजार करना होगा। रेलवे के अधिकारी ने बताया कि 15 जून तक तो लगभग कोई बदलाव नहीं होंगे। इस दौरान, सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियों और मॉनसून की तैयारियों में जुटे निजी संस्थानों के लोगों का दायरा बढ़ाया जा सकता है। इसके चलते, लोकल में 50 हजार से एक लाख तक भीड़ बढ़ सकती है। अधिकारी ने बताया कि इस बार भी पुराने फॉर्म्युले के अनुसार सुबह 7 बजे तक तय किए गए सामान्य यात्री, दोपहर 12 से 4 और शाम को 7 बजे के बाद दोबारा सामान्य यात्रियों को छूट दी जा सकेगी। सूत्रों के अनुसार, इन सामान्य यात्रियों की श्रेणी निश्चित करने के लिए स्थानीय प्रशासन या पुलिस की अनुमति लेने जैसी व्यवस्था की जाएगी। अधिकारी ने बताया कि पिछली बार नवरात्र के कारण महिला यात्रियों को छूट मिली थी, लेकिन इस बार उनके लिए विशेष समय नहीं होगा।

पिछली बार जब राज्य सरकार ने जब 30 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाया, तब रोजाना करीब 9-10 लाख यात्री चल रहे थे। लॉकडाउन 31 मई तक विस्तारित करने के बाद अब 8 लाख के करीब यात्री बचे हैं। यह स्थिति नवंबर 2020 जैसी है, जब सामान्य लोगों को उपनगरीय ट्रेनों में अनुमति नहीं थीं। लॉकडाउन के दौरान कामकाजी दिनों में अतिआवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग चल रहे हैं, तो शनिवार और रविवार को इनकी भी कमी दिखाई दे रही है। मध्य रेलवे पर गत शनिवार 4 लाख, तो रविवार को 2.5 लाख लोगों ने यात्रा की, पश्चिम रेलवे पर भी यह संख्या 2 लाख यात्री के करीब रही। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकारी दफ्तरों में भी कर्मचारियों की संख्या निश्चित करने का परिणाम दिखाई दे रहा है। राज्य सरकार के निर्देश के बाद स्टेशनों पर पहचान पत्र देखने के बाद ही लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है। यह व्यवस्था फिलहाल कुछ महीने तक लागू रहने की संभावना है। पिछले सप्ताह कई गैर जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को रोका गया और जीआरपी, आरपीएफ द्वारा कार्रवाई भी की गई।

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