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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के कुछ जिलों में स्थानीय निकायों यानी जिला परिषद और पंचायत समिति को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. इन निकाय के चुनावों में आरक्षण नियमों के उल्लंघन वाले इलाकों में फिर से चुनाव कराने का फैसला दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र जिला परिषदों और पंचायत समितियों अधिनियम, 1961 की धारा 12 (2) (c) को रद्द कर दिया है. जिसमें  जिला परिषदों और पंचायत समितियों में 27 प्रतिशत सीटों में ओबीसी को आरक्षण प्रदान किया गया है. अदालत ने कहा कि संबंधित स्थानीय निकायों में ओबीसी के पक्ष में आरक्षण को इस हद तक अधिसूचित किया जा सकता है कि यह अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक ना हो.

जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और  जस्टिस, अजय रस्तोगी ने ये आदेश जारी किया. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिट याचिका के मुताबिक नाशिक, विदर्भ और नागपुर के कई आदिवासी बहुल तालुका में इन चुनावों में ओबीसी वर्ग को 27 % आरक्षण दे दिया गया. इससे आरक्षण का कोटा 60 फीसदी से भी ज्यादा चला गया था.

सुप्रीम कोर्ट में दरअसल मूल याचिका तो आरक्षण नियमों के उल्लंघन की वजह से जन प्रतिनिधियों को अयोग्य करार देने की थी. इसी दौरान ये तथ्य भी कोर्ट के सामने लाए गए.पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि आरक्षण नियमों का उल्लंघन कर कराया गया चुनाव कानून के मुताबिक नहीं है. लिहाज़ा पूरे नियमों के तहत ही चुनाव होने चाहिए.


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