महाराष्ट्र : नहीं थम रही किसानों की आत्महत्या
11 महीनों में 2270 खुदकुशी, आखिर महाराष्ट्र में मौत को क्यों गले लगा रहे किसान?
मुंबई : महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार को सत्ता पर काबिज हुए एक साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। इस दौरान महाराष्ट्र में 2270 किसानों ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया है। यह आंकड़ा साल 2020 के जनवरी महीने से लेकर नवंबर तक का है। हालांकि यह संख्या साल 2019 के आंकड़ों से कम बताई जा रही है। साल 2019 में 2566 किसानों ने आत्महत्या की थी।
आरटीआई एक्टिविस्ट जितेंद्र घाडगे की निकाली गई जानकारी पर गौर करें तो यह पता चलता है जिन 2270 किसानों ने आत्महत्या की है, उनमें से 40% से ज्यादा यानी 920 किसान मुआवजे के हकदार थे। यह जानकारी महाराष्ट्र के राजस्व मंत्रालय की तरफ से आरटीआई के तहत दी गई है। सरकार कर्ज में डूबे किसानों को मुआवजा देती है। अक्सर यह मुआवजा उनके परिजनों को मिलता है जो तकरीबन एक लाख रुपये तक होता है।
जानकारी के अनुसार आधे से ज्यादा किसान विदर्भ इलाके के हैं। जिसे महाराष्ट्र की कॉटन बेल्ट के रूप में भी जाना जाता है। इस इलाके से तकरीबन 1230 किसानों ने आत्महत्या की है। मराठवाड़ा के सूखे इलाके वाली जगहों पर 693 किसानों ने आत्महत्या की है। जबकि उत्तर महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 322 किसानों का है।