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नई दिल्ली : बकाया वसूली को लेकर गुजरात के एक व्यवसायी के खिलाफ दर्ज एफआइआर के मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि बकाया वसूली के लिए आपराधिक कानूनी तंत्र का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की पीठ ने कहा कि ऐसे विवादों का निपटारा करने के लिए अलग से फोरम है।

पीठ ने कहा कि कोई व्यक्ति बकाया वसूली के लिए किसी तीसरे पर धोखाधड़ी एवं विश्वासघात का आरोप लगाता है तो उसे अदालत व जांच एजेंसी का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। पीठ ने कहा कि यह एक प्रकार की प्रताड़ना है और कानून इसकी इजाजत नहीं देता है।

पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए गुजरात के व्यवसायी रमेश बोगा भाई के खिलाफ रोहिणी थाने में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया। पीठ ने कहा कि यह व्यवसायिक मामला है और दोनों पक्षों के बीच करार है। याचिका के अनुसार गुजरात के व्यवसाई रमेश बोगा भाई के खिलाफ याचिकाकर्ता नने रोहिणी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। व्यवसायी का आरोप है कि उनका सामान विदेश भेजने को लेकर जहाज का किराया नहीं दिया है। यह धोखाधड़ी का मामला है। याचिकाकर्ता व्यवसायी ने कहा कि उसका सामान निर्धारित समय के भीतर और करार के तहत जहां पहुंचाना था वहां नहीं पहुंचा  है। 


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