मुंबईकर बचाएंगे आपदा में एकदूसरे की जान
बीएमसी उन सभी जगहों का सर्वे करवा रही है जहां पर जर्जर इमारतें हैं और आग लगने की संभावनाएं अधिक हैं
मुंबई : दुनिया भर में मुंबई शहर की अपनी एक विशिष्ट पहचान है। बावजूद इसके मुंबई शहर में हर साल सैकड़ों लोग आग लगने की घटनाओं में और बिल्डिंग गिरने की घटनाओं में अपनी जान गवां देते हैं। इन घटनाओं में होने वाली जनहानि को रोकने के लिए अब बीएमसी ने नागरिकों को आपदा के समय में जान बचाने का प्रशिक्षण देने का फैसला किया है।
एक दूसरे की जान बचाएंगे मुंबईकरबीएमसी ने मुंबई शहर में उन सभी जगह का सर्वे करने का फैसला किया है। जिन जगहों पर आग लगने की संभावना काफी ज्यादा है और वह इलाके जहां पर जर्जर इमारतें हैं जो कभी भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकती हैं। इन जगहों पर बीएमसी ने अपने सभी 24 वार्डों में सर्वे रिपोर्ट बनाने के लिए कहा है। ताकि समय पर इनका उपयोग किया जा सके।
आपदा में होगा फायदा
अक्सर यह देखा जाता है की इमारतों में लोग दुर्घटना के समय कहां से आते हैं और निकलने का कोई रास्ता नहीं बचता है ऐसे ही हालातों के लिए बीएमसी मुंबई के नागरिकों को तैयार करना चाहती है। बीएमसी के एडिशनल कमिश्नर सुरेश काकानी ने बताया सर्वे रिपोर्ट पूरी होने पर नागरिकों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया जाएगा। काकानी ने बताया कि जब तक स्थानीय प्रशासन की मदद घटनास्थल पर पहुँचेगी तब तक प्रशिक्षित किए हुए नागरिक फंसे हुए लोगों के काफी काम आ सकते हैं।
आंकड़ों के अनुसार साल 2012 से लेकर साल 2018 के बीच 29140 आग लगने की घटनाएं हुई हैं। जिसमें 300 लोगों की मौत हुई है और 925 लोग जख्मी हुए हैं। जबकि लोगों की जान बचाने के दौरान दमकल विभाग के 120 अधिकारी और कर्मचारी जख्मी हुए हैं।