भिवंडी : डिप्रेशन में आकर दिया था त्यागपत्र, वापस दे दो
भिवंडी : भिवंडी कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष के समर्थन में त्यागपत्र देने के लगभग दो सप्ताह बाद नगरसेविका ने अपनी सदस्यता बचाने के लिए मनपा आयुक्त से गुहार लगाई है। नगरसेविका ने सफाई देते हुए आयुक्त से कहा कि उसने तनाव में आकर त्यागपत्र दिया था। अब वह अपना त्यागपत्र वापस लेना चाहती है। मनपा आयुक्त डॉ. पंकज आशिया ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि विधि विभाग की सलाह के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।
बता दें कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 24 अक्टूबर को भिवंडी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष शोयेब खान गुड्डू को पदमुक्त करने के बाद उनकी जगह पूर्व विधायक अब्दुल रशीद ताहिर मोमिन को जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिया था। इसके बाद कांग्रेस के एक गुट ने शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए पार्टी से सामूहिक त्यागपत्र देने की योजना बनाई थी। बताया जाता है कि शोएब खान गुड्डू के निवास पर हुई बैठक में दर्जनों नगरसेवकों एवं पदाधिकारियों ने सामूहिक त्यागपत्र देने का वादा किया था, लेकिन 26 अक्टूबर को केवल कांग्रेसी नगरसेविका फरजाना रंगरेज (मिर्ची) ने ही अपना त्यागपत्र दिया।
नगरसेविका फरजाना रंगरेज ने कहा था कि उसने किसी के दबाव में नहीं, बल्कि अपनी खुशी से त्यागपत्र दिया है। उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को भी पत्र लिखकर जिलाध्यक्ष की नियुक्ति पर पुर्नविचार करने की बात कही थी। अब एक सप्ताह बाद जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, तो वह मनपा आयुक्त डॉ. आशिया के कार्यालय में जा पहुंची। उन्होंने मनपा आयुक्त से कहा कि वह तनाव (डिप्रेशन) में आकर त्याग पत्र दिया था, लेकिन अब उसे वापस लेना चाहती हैं।
मनपा आयुक्त डॉ. आशिया ने बताया कि त्यागपत्र मिलने के बाद उसकी पुष्टि के लिए उन्होंने 28 अक्टूबर को नगरसेविका का पक्ष जानने के लिए बुलाया था। लेकिन 28 अक्टूबर को वह अपना पक्ष रखने नहीं आईं। पांच दिन बाद कार्यालय में आकर वह अपना त्यागपत्र वापस मांग रही हैं। उनके पति इस्माईल रंगरेज ने भी कोई जवाब नहीं दिया। कांग्रेस की प्रदेश सचिव रानी अग्रवाल ने कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए उसे सिर्फ मोहरा बनाया गया था, जिसमें नगरसेविका फरजाना रंगरेज फंस गईं।