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मुंबई : कोरोना काल में भी रेलवे में टिकटों की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है। कभी सॉफ्टवेयर के जरिए इंटरनेट टिकट बनाकर, तो कभी वरिष्ठ नागरिकों के कोटे से टिकट आरक्षित करके या फिर रिमोट स्टेशन से तत्काल टिकट की बुकिंग करके टिकटों में गड़बड़ियां हो रही हैं। इस दौरान हर लिहाज से मजबूर यात्री ठगा जा रहा है, क्योंकि उत्तर भारत से मुंबई आने वाली ट्रेनों में टिकटों की बड़ी डिमांड है। मजबूरी के नाम पर इस खेल को रोकने के लिए अब रेलवे ने विशेष टीमें बनाकर धरपकड़ शुरू कर दी है।

ऐसे हो रही है धांधली
पश्चिम रेलवे को तत्काल आरक्षण के मामलों में नकली / रंगीन फोटो कॉपी टिकट पर यात्रा करने वाले यात्रियों के कई मामलों की सूचना मिली थी। इस पर नकेल कसने के लिए पश्चिम रेलवे के विशेष फ्लाइंग स्क्वाड ने उन विशिष्ट ट्रेनों में विशेष जांच की, जिनमें ऐसे कई मामलों की रिपोर्ट प्राप्त हुई थी।

पश्चिम रेलवे के सहायक वाणिज्यिक प्रबंधक (टिकट चैकिंग) परवेज खान के नेतृत्व में अक्सर ऐसी शिकायतों वाली ट्रेनों के चार्टों को गहराई से स्कैन किया गया। इस दौरान 500 किलोमीटर और उससे अधिक दूरी पर स्थित पीआरएस काउंटरों से तत्काल में बुक किए गए टिकटों के पीएनआर, टिकट और यात्रियों की रिपोर्ट तैयार कर यात्रा वाले दिन धरपकड़ की गई। चैकिंग के दौरान फ्लाइंग स्क्वायड टीम ने मुंबई की ओर अवध एक्सप्रेस में 20 यात्रियों का पता लगाया, जिनके पास मूल यात्रा के टिकट नहीं थे।

छोटे स्टेशनों पर दलालों का कब्जा
पश्चिम रेलवे की जांच से यह स्पष्ट होता है कि अवध एक्सप्रेस के यात्रियों ने दलालों से टिकट खरीदे थे। क्योंकि, जिन स्टेशनों से यात्रियों को बैठना था, वहां से कई सौ किलोमीटर दूर स्टेशन से ये टिकटें निकाली गई थीं। टिकट तो बुक थीं लेकिन डिलिवरी नहीं हो सकी, इसलिए यात्रियों को बेटिकट श्रेणी में रखा गया। एक अधिकारी ने बताया कि छोटे स्टेशनों पर दलालों की मनमानी से ऐसा अक्सर होता है।

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