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मुंबई : सितंबर में होने वाली नेशनल एलिजिबिलिटी एंंट्रेंस टेस्ट (NEET) और जॉइंट एंट्रेंस एक्जामिनेशन (JEE) टेस्ट को लेकर ज्यादातर छात्र और अभिभावक कोरोना खतरे के बावजूद निर्धारित समय पर परीक्षाएं आयोजित कराने के पक्ष में हैं.

NEET  की परीक्षा दो बार स्थगित की जा चुकी है. सबसे पहले यह परीक्षा 3 मई को आयोजित की जानी थी, लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण परीक्षा स्थगित कर दी गई थी. इसके बाद 25 जुलाई को निर्धारित की गई तिथि एक बार फिर छात्रों और अभिभावकों के विरोध के चलते स्थगित की गई, अगली तारीख 13 सितंबर रखी गई है. इस वर्ष NEET की परीक्षा के लिए कुल 15,97,433 अभ्यर्थियों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है.

1 से 6 सितम्बर तक आयोजित होने वाली JEE Main की परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड भी जारी किए जा चुके हैं. दोनों परीक्षाओं के खिलाफ दाखिल की गई याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को खारिज कर दिया था.कुछ अभिभावक खतरे को देखते हुए अपने बच्चों को परीक्षा दिलाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन ज्यादातर अभिभावक चाहते हैं कि परीक्षा की तिथि बार-बार न बदली जाए.

अधिकांश छात्रों का मत है कि कोरोना महामारी इतनी जल्दी समाप्त होने वाली नहीं है, इसलिए 1 से 6 सितंबर तक JEE और 13 सितंबर को होने वाली NEET की परीक्षाएं समय पर आयोजित की जाएं. छात्रों, अभिभावकों और इंस्टीट्यूशंस के मालिकों का मानना है कि इसके लिए सरकार को सुरक्षा और सुविधाओं की पूरी व्यवस्था करनी चाहिए.

इस वर्ष NEET की परीक्षा देने वाली छात्रा कृतिका कासत ने कहा कि परीक्षा निर्धारित डेट पर होनी चाहिए क्योंकि परीक्षा रद्द करने या बार-बार आगे बढ़ाने से अब कोई फायदा नहीं है, क्योंकि कोरोना महामारी शीघ्र जाने वाली नहीं है. इसी में हम सबको जीना है और आगे बढ़ना है. यदि 1 साल रद्द कर दिया जाए तो अगले साल के लिए स्टडी में काफी डिस्टर्ब होगा. अगले साल के लिए परीक्षार्थियों की संख्या भी ज्यादा हो जाएगी, इसलिए निर्धारित तिथि पर परीक्षा होनी चाहिए और सरकार को परीक्षा केंद्रों पर पहुंचने के लिए यातायात की सुविधा और सुरक्षा के इंतजाम करना चाहिए.

छात्रा अंजली यादव ने कहा कि बार-बार नीट परीक्षा की तिथि न बदली जाए, क्योंकि कोरोना की महामारी इतनी जल्दी जाने वाली नहीं है और अगले वर्ष तक स्थगित करने से पढ़ने का तारतम्य टूट जाएगा. परीक्षा केंद्र पर सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था करनी चाहिए, मास्क एवं सैनिटाइजर उपलब्ध रहना चाहिए. साथ ही सरकार को परीक्षा केंद्रों तक आने-जाने की यातायात व्यवस्था सुलभ करानी चाहिए.

अंजलि के पिता कमलेश यादव ने कहा कि सबसे पहले जीवन की सुरक्षा जरूरी है, क्योंकि परीक्षा 1 साल नहीं होगी तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन बच्चे संक्रमित हो गए तो बहुत बड़ा नुकसान होने की आशंका रहेगी. छात्रा तान्या आचार्य का भी मानना है कि NEET की परीक्षाएं निर्धारित तिथि पर होनी चाहिए, क्योंकि 1 साल रद्द करने से अगले साल के लिए समस्याएं ज्यादा बढ़ जाएंगी.

महाराष्ट्र क्लास ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन कर्णावत ने कहा कि परीक्षाएं तो होनी चाहिए क्योंकि यदि नहीं हुईं तो छात्रों का 1 साल बर्बाद जाएगा और उनकी आगे की तैयारियां भी प्रभावित होंगी. इसके लिए सरकार को कम से कम परीक्षा के दिन परीक्षा केंद्रों पर जाने के लिए बस और ट्रेन की सुविधा देनी चाहिए. साथ ही परीक्षा केंद्र पर सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा के सारे इंतजाम करने चाहिए.


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