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नवी मुंबई : महानगर पालिका चुनाव से पहले ही महाविकास आघाड़ी की प्रमुख घटक शिवसेना टूटने लगी है. 39 नगरसेवकों वाली शिवसेना के दर्जन भर नगरसेवक भाजपा और गणेश नाईक से जुड़ने को तैयार हैं. सुर्खियों में घणसोली के नगरसेवक प्रशांत पाटिल, कमलाताई पाटिल और सुवर्णा पाटिल का नाम सबसे आगे है. शिवसेना में सबसे अधिक भगदड़ की संभावना उस ऐरोली विधानसभा क्षेत्र में है जहां पार्टी सबसे ज्यादा मजबूत है. हालांकि भाजपा विधायक गणेश नाईक की रणनीति से शिवसेना में दलबदल तेज हो गयी है. बीते 19 फरवरी को शिवसेना की जिला महिला संघटक एड. संध्या सावंत एवं विभाग प्रमुख कैलास सुकाले ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया था.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो शिवसेना में फूट के पीछे महाविकास आघाड़ी सबसे बड़ा कारण है. इसकी शुरूआत वाशी के विष्णुदास भावे सभागार में आयोजित आघाड़ी के मनोमिलन दिवस से हो गयी थी.जब यहां अजीत पवार ने खुले तौर पर चेताया था कि, आघाड़ी के तहत कुछ अपने लोगों को टिकट नहीं मिलेगा इसलिए एडजस्ट करके चलना होगा. इसी संदेश ने वर्षों से पार्टी में कार्य कर रहे कार्यकर्ताओं की नींव हिला दी थी. इससे शिवसेना के वे कार्यकर्ता ज्यादा आहत हुए जिन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के साथ संघर्ष करते हुए खुद को पार्टी से जुड़े रहने और जनसेवा को जारी रखा था. कईयों ने सीधा कहा, जब टिकट मिलने की बारी आयी है तब एडजस्ट करके चलना है यह तो सरासर अन्याय है.

बताते चलें कि मनपा के चुनाव में सबसे अधिक फायदे में वह कांग्रेस है जिसके पास उम्मीदवारों को तंगी और जीतने की चुनौती रही है. हालांकि महाविकास आघाड़ी के साथ चुनाव लड़ने से कांग्रेस उम्मीदवारों के जीतने की संभावना अधिक रहेगी. अलबत्ता इसका सबसे बड़ा नुकसान शिवसेना को उठाना पड़ सकता है.इसीलिए शिवसेना के कई बड़े पदाधिकारी अलग अपने दम पर चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ और भी बड़ी चुनौती है. गणेश नाईक के भाजपा में जाने के बाद राष्ट्रवादी नवी मुंबई में अनाथ हो गयी है.उनके बचे खुचे नगरसेवकों के सामने अपना वर्चस्व बचाए रखने की चुनौती है.


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