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मुंबई : कुछ ही देर में घायल तक पहुंचने का दावा करने वाली एम्बुलेंस हेल्पलाइन 108 की हकीकत उस समय उजागर हो गई जब दुर्घटना के शिकार एक व्यक्ति को काफी देर तक उसकी मदद नहीं मिली. ऐसे में जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल को लोगों की मदद से हास्पिटल पहुंचाया. घटना सोमवार शाम छत्रपति चौक बस स्टाप की है. चंद्रपुर निवासी प्रशांत अनंतराव ताठे (54) किसी काम से शाम करीब 6.10 बजे नागपुर पहुंचे. वे छत्रपति चौक बस स्टाप पर उतरे. वह बस से उतरकर पैदल ही आगे बढ़े कि पीछे से एक दोपहिया वाहन चालक ने उन्हें टक्कर मारी और फरार हो गया. टक्कर इतनी जोरदार थी कि प्रशांत अपनी जगह पर ही 2 बार घूमकर जमीन पर गिर पड़े. उनका एक पैर बुरी तरह से टूट गया और आंख के पास सिर से खून की धार बहने लगी. उनकी कमर पर बुरी तरह चोटिल हुई. उनका मोबाइल पूरी तरह से चकनाचूर हो गया. तुरंत ही आसपास के लोग और आटो चालक उनकी मदद के लिए दौड़े और उन्हें वहां से उठाकर सड़क के किनारे ले आए. उनकी हालत ऐसी थी कि कमर के निचले हिस्से ने काम करना लगभग बंद कर दिया था. वह अपनी कमर और पैर हिला भी नहीं पा रहे थे.

इसी दौरान वहां मौजूद एक जागरूक नागरिक ने एम्बुलेंस हेल्पलाइन नंबर 108 पर कॉल कर घायल प्रशांत के लिए मदद मांगी. उन्होंने 6.52 मिनट पर 108 तथा 6.54 बजे पुलिस कंट्रोल रूम को सूचित किया. कॉल रिसिव होते ही 108 हेल्पलाइन प्रतिनिधि ने कॉलर पर सवालों की बौछार कर दी. एक्सीडेंट कहां हुआ, कब हुआ, कितनी चोट आई और भी कई सवाल. इसके बाद 7.09 बजे शहर की एक लेडी डाक्टर को उक्त कॉलर को फोन आया. महिला डाक्टर ने घायल के बारे में पूछताछ की. उन्होंने कहा कि घायल के साथ कोई रिश्तेदार है क्या. उन्होंने कहा कि यदि घायल के साथ कोई रिश्तेदार होगा तब ही हम आपकी मदद कर पायेंगे. महिला डाक्टर से उनकी एम्बुलेस की लोकेशन पूछने पर जवाब मिला कि सीए रोड जो छत्रपति चौक से करीब 7 किमी दूर है. ट्राफिक के बीच यह दूरी तय करने में एम्बुलेंस को 25 से 30 मिनट का समय लगता. ऐसे में डाक्टर ने एमएच-14/सीएल-0402 नंबर की एम्बुलेंस वाले सर्विस प्रोवाइडर को कॉल किया लेकिन उनका नंबर भी बंद आया. इधर प्रशांत का दर्द बढ़ता ही जा रहा था.

एम्बुलेंस की लेटलतीफी के बीच पुलिस कंट्रोल रूम से प्रतापनगर थाने में सूचना प्राप्त हुई. उधर, एक्सीडेंट हुए करीब 25 मिनट का समय गुजर चुका था और प्रशांत इतनी देर तक तड़पते रहे. कुछ ही देर में पुलिस की एक टीम एमएच-31/डीझेड-106 नंबर की गाड़ी से पहुंची. वहीं, एमएच-32/सी-554 नंबर के कार चालक आरडी बन्सोड देवदूत बनकर प्रशांत की मदद के लिए पहुंचे. पुलिस और नागरिकों की मदद से प्रशांत को बंसोड की कार में आरेंज सिटी हास्पिटल तक पहुंचाया गया. इस दौरान 25 मिनट तक प्रशांत तड़पते रहे लेकिन 108 वाली एम्बुलेंस नहीं पहुंची. ऐसे में सवाल उठता है कि स्मार्ट सिटी बन रहे नागपुर में ऐसी घटनाओं को कितनी गंभीरता से लिया जाना चाहिए. जान बचाने वाली 108 एम्बुलेंस सेवा जान जाने के बाद पहुंचे तो उस हेल्पलाइन का क्या अर्थ?


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