डीआईजी पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली नाबालिग लापता
नवी मुंबई : डीआईजी निशिकांत मोरे पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली नाबालिग युवती सोमवार की रात करीब 11.30 बजे से लापता है। डीआईजी निशिकांत मोरे इस समय मोटर वाहन विभाग, पुणे में तैनात हैं। घर छोड़ने से पहले युवती ने अपने माता-पिता और भाई के नाम अंग्रेजी में एक सूइसाइड नोट लिखा, जिसमें डीआईजी के प्रेशर में आकर आत्महत्या करने की बात कही गई है। पत्र में युवती ने अपने परिवार से माफी मांगते हुए लिखा है- 'आप सभी के अपमान (इस प्रकरण के चलते) के लिए मैं सॉरी बोल रही हूं, मुझे ढूंढना मत।' इसके साथ-साथ युवती ने ट्रेन के नीचे आकर जान देने की बात लिखी है। युवती ने पत्र में अपने परिवार के लिए यह भी लिखा है- 'मैं अब नहीं मिलूंगी और न मैं इस लाइफ में रहना चाहती हूं। इसलिए मेरे बिना जीना सीख लेना।' पत्र के अंत में युवती ने अपनी आत्महत्या के पीछे सीधे डीआईजी को जिम्मेदार ठहराया है। पत्र के नीचे युवती ने अपने नाम के साथ 6 जनवरी की रात 12.00 am का समय भी लिखा है।
युवती का सूइसाइड नोट मिलते ही परिवार में हड़कंप मच गया। परिवार वालों ने कुछ देर तक युवती को खोजा लेकिन सफलता नहीं मिली। आखिरकार, रात करीब 4.30 बजे युवती के लापता होने की सूचना तलोजा पुलिस स्टेशन में दी गई। इस संदर्भ में तलोजा पुलिस ने युवती के लापता होने की शिकायत दर्ज की है। लापता युवती की खोज में करीब 50 से 60 पुलिस वाले लगे हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी युवती की खोज में लगे दस्तों से जानकारी ले रहे हैं और उन्हें आवश्यक निर्देश दे रहे हैं। खबर लिखे जाने तक लड़की का पता नहीं चल पाया था। 26 दिसंबर 2019 को तलोजा पुलिस स्टेशन में युवती और उनके परिवार की तरफ से डीआईजी निशिकांत मोरे (इस समय मोटर वाहन विभाग, पुणे में तैनात) के विरुद्ध पॉक्सो कानून के अंतर्गत एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई थी। यह शिकायत मूल घटना के छह महीने बाद दर्ज कराई गई थी। शिकायत के अनुसार युवती के घर में 5 जून, 2019 को एक पारिवारिक जन्मदिन समारोह में डीआईजी मोरे ने युवती के चेहरे पर केक लगाने के बाद उसके साथ अभद्र आचरण किया था। सूत्रों के अनुसार युवती और डीआईजी के परिवार के बीच पारिवारिक संबंध थे। दोनों परिवारों के बीच किसी अचल संपत्ति को लेकर काफी समय से विवाद रहा है। फिलहाल, डीआईजी की तरफ से युवती द्वारा लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया गया है।
शिकायत दर्ज कराने के बाद से ही डीआईजी मोरे भी लापता हैं और उनकी तलाश जारी है। शिकायत के दिन जब तलोजा पुलिस उनके घर गई, तो वह वहां नहीं मिले। यहां तक कि पुणे स्थित अपने कार्यालय में भी नहीं मिले। पुलिस उनकी लगातार तलाश कर रही है। 26 दिसंबर, 2019 से लापता चल रहे डीआईजी मोरे ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पनवेल कोर्ट में 2 जनवरी को अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी। इसकी सुनवाई के लिए 7 जनवरी का दिन तय था। मंगलवार को हो रही इस सुनवाई को देखने-सुनने के लिए परिवार की तरफ से उनके वकील भी उपस्थित थे। डीआईजी मोरे की तरफ से अपना वकील बदलने और वकालतनामा दाखिल करने के लिए और समय देने का अनुरोध किया गया था। युवती के परिजन के वकील ने बताया कि इस सुनवाई के दौरान अदालत ने डीआईजी मोरे को राहत नहीं दी।