क्या महाराष्ट्र सरकार लंदन का आंबेडकर म्यूज़ियम बचा पाएगी?
लंदन का एक शांत कोना और शहर के सबसे समृद्ध इलाकों में से एक प्रिमरोज़ हिल कई पीढ़ियों की मशहूर हस्तियों का ठिकाना रहा है. इस इलाक़े में प्रसिद्ध मॉडल केट मॉस से लेकर अभिनेता डेनियल क्रेग तक का घर है. लेकिन दुनिया भर से सैकड़ों लोग यहां एक ख़ास घर का दौरा कर चुके हैं, जिनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं. घर के बाहर एक नीली पट्टिका लगी हुई है जिस पर लिखा हुआ है, "भारत में सामाजिक न्याय के योद्धा और नायक डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर यहां 1921-22 तक रहे थे." दरवाजे से कुछ कदम अंदर ही डॉ. आंबेडकर की एक अर्ध-मूर्ति है, जो मालाओं से लिपटी हुई है. उनकी याद में कमरों की फिर से मरम्मत की गई हुई है. भोजन कक्ष की मेज पर कुछ कानूनी दस्तावेज बिखरे पड़े हैं. उनका चश्मा बिस्तर से लगे टेबल पर किताबों के साथ पड़ा है. लेकिन एक समस्या है, स्थानीय नगर पालिका काउंसिल के मुताबिक, कभी डॉ. आंबेडकर का घर रहे इस संग्रहालय का विरोध इसके दो पड़ोसी कर रहे हैं.
अगले महीने काउंसिल की सुनवाई में घर के भाग्य का फ़ैसला होगा. इसके मालिकों को इसे आवासीय भवन में बदलने को कहा जा सकता है और इसका दरवाज़ा देश-दुनिया से आने वाले लोगों के लिए बंद किया जा सकता है. यह एक ऐसे व्यक्ति की विरासत को धूमिल कर देगा, जिसका प्रभाव आज भी भारतीय समाज पर गहरा है. आंबेडकर हाउस के नाम से मशहूर इस भवन को महाराष्ट्र सरकार ने साल 2015 में करीब 30 लाख पाउंड (24 करोड़ रुपए) में खरीदा था. उस वक़्त इसका उद्घाटन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इस दौरान सैकड़ों लोग संग्रहालय देखने आए. तीन पड़ोसियों ने बीबीसी को बताया कि ये आए और बिना किसी परेशानी के वापस चले गए. सड़के के उस पार रहने वाले एक निवासी ने बताया कि उन्हें यह भी नहीं पता है कि यहां कोई संग्रहालय है.
लेकिन जनवरी 2018 में कैमडेन काउंसिल को यह शिकायत मिली कि संग्रहालय नीतियों का उल्लंघन कर रहा है और उसने पाया कि एक संग्रहालय के रूप में इसे चलाने के लिए अनुमति नहीं ली गई थी.
फ़रवरी 2018 में संपत्ति के मालिकों ने भवन को संग्रहालय के रूप में चलाने की अनुमति मांगी, लेकिन काउंसिल ने अक्तूबर 2018 में यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया था कि इससे आवासीय इलाक़े को "बहुत नुकसान होगा जो स्वीकार नहीं" किया जा सकता है. उत्तर-पश्चिम लंदन के दो निवासियों ने यह भी शिकायत की है कि बसों भर-भरकर लोगों के आने की वजह से इलाक़े में शोरगुल बढ़ रहा है. महाराष्ट्र सरकार ने निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है और इस संबंध में 24 सितंबर को एक सार्वजनिक जांच तय की गई है. महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है, लेकिन ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग ने बीबीसी से कहा है कि यह संपत्ति भारत के एक बड़े वर्ग के लिए विशेष महत्व रखती है. उच्चायोग ने कहा कि भवन को संग्रहालय में बदलने के लिए कैमडेन परिषद में आवेदन किया गया था.