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हिंदुस्तान शुरू से आतंकवादियों के निशाने पर रहा है. लेकिन इसी कड़ी में अब दुनिया के सबसे बदनाम आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की एक ऐसी साज़िश का खुलासा हुआ है, जो अगर कामयाब हो जाती तो समझ लीजिए कि हिंदुस्तान में बड़ी तबाही मच जाती. अनगिनत लोग सिर्फ़ नफ़रत और ख़ून-खराबे की भेंट चढ़ जाते. बल्कि देश के दुश्मनों को हमें कमज़ोर करने का मौका मिल जाता. मगर, 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले देश की सुरक्षा एजेंसियों ने इस आतंकवादी साज़िश को बेनक़ाब कर ना सिर्फ़ दुश्मनों की चूलें हिला दीं, बल्कि कई बेगुनाह लोगों की जान भी बचा ली. तो आख़िर क्या थी ये साज़िश? और कैसे हुआ इसका खुलासा? आपको बताते हैं क्या था- ऑपरेशन ग्रीन बर्ड.
हिंदुस्तान पर 'आतंक का परिंदा' मंडरा रहा है. राजधानी दिल्ली समेत कई शहरों पर ख़तर के बादल मंडरा रहे हैं. ISIS ने दहशतगर्दी की नई साज़िश रची है. जिसका खुलासा टेलीग्राम एप्प पर बने ग्रुप से हुआ है. स्वतंत्रता दिवस से ऐन पहले धमाके की प्लानिंग का खुलासा हुआ है. आख़िर क्या है ISIS का ऑपरेशन ग्रीन बर्ड?
साज़िश नंबर 1- बंगाली 138, साज़िश नंबर 2- इस्लामी हिंद, साज़िश नंबर 3- फ्लेम्स ऑफ वॉर, साज़िश नंबर 4-अल-मुतरजिम फ़ाउंडेशन और सबसे आख़िर में सबसे बड़ी और सबसे सबसे ख़ौफ़नाक साज़िश नंबर 5 यानी ग्रीन बर्ड्स. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर टेलीग्राम एप्प के ये पेजेज किसके हैं, इसके मायने क्या हैं और साज़िशों के इन पन्नों में आख़िर वो कौन सी बातें लिखी हैं, जिसने सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है? तो आइए सिलेसिलेवार तरीक़े से आपको पूरी कहानी सुनाए देते हैं.
एक तो आतंकवाद के खिलाफ़ सरकार के ज़ीरो टॉलरेंस की नीति, दूसरा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का ख़ात्मा और तीसरा जश्न-ए-आज़ादी यानी स्वतंत्रता दिवस की तैयारी करता हिंदुस्तान. ये वो बातें हैं जिन्होंने हिंदुस्तान के दुश्मनों को बौखला दिया है. वो हर हाल में कहीं ना कहीं गड़बड़ी फैला कर बेगुनाहों की जान लेना चाहते हैं. हिंदुस्तान को ख़ून के आंसू रुलाना चाहते हैं. लेकिन इससे पहले कि ये आतंकी ऐसे किसी मंसूबे में कामयाब हो पाते, हिंदुस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने आईएसआईएस के ऑपरेशन ग्रीन बर्ड की ही गर्दन मरोड़ दी है.
पर, सवाल ये है कि आख़िर क्या है आईएसआईएस का ऑपरेशन ग्रीन बर्ड? क्या है इसके मायने? अगर वक्त रहते नहीं खुलता ऑपरेशन ग्रीन बर्ड का राज़, तो क्या हो सकता था इसका अंजाम? तो आज वारदात में हम एक-एक कर इस ऑपरेशन ग्रीन बर्ड के तमाम राज़ का खुलासा करेंगे.
सबसे पहले आइए साज़िश के टेलीग्राम मैसेज के चंद पन्नों के बारे में आपको बता देते हैं. आतंकवादियों की हर हरकत पर निगाह रखने और उनका पीछा करनेवाली देश की सुरक्षा एजेंसियों की निगाह अचानक इसी साल 29 अप्रैल को आईएसआईएस के एक ऐसे टेलीग्राम ग्रुप पर पड़ी, जिसे इस आतंकवादी संगठन ने बड़े खुफ़िया तरीक़े से क्रिएट किया था.
इस ग्रुप का मकसद ना सिर्फ़ हिंदुस्तान पर हमले के लिए आतंकियों को तैयार करना के साथ-साथ उन्हें इस काम के लिए रिक्रूट यानी नियुक्त करना भी था. कहने की ज़रूरत नहीं है कि इसके लिए आतंक के आका इसी ग्रुप में ना सिर्फ़ खुफ़िया तरीक़े से अपनी पूरी साज़िश का रफ्ता-रफ्ता खुलासा कर रहे थे, बल्कि लोगों के दिलों-दिमाग में ग़ैर मुस्लिमों के खिलाफ़ ज़हर का वो खुराक डालने में थे, जिससे पार पाना इतना आसान नहीं था. और यही वजह है कि बंगाली 138, इस्लामी हिंद, फ्लेम्स ऑफ वॉर से लेकर ग्रीन बर्ड्स जैसे ग्रुप के मेंबरों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही थी और साज़िश के तार भी गहराते जा रहे थे. लेकिन ऐन मौके पर आईएसआईएस की इस साज़िश का भंडा फूट गया.
आतंकवादियों के ये ग्रुप तो ख़ैर अपना काम कर ही रहे थे, लेकिन ऐसे ही एक ग्रुप में जब आतंकवादियों ने पहली बार लाल किले की एक आपत्तिजनक तस्वीर पेश की, तो सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए. इस तस्वीरे में आतंकियों ने ना सिर्फ़ जल्द ही लाल किले पर हमला करने की बात कही थी, बल्कि ये भी लिखा था कि जल्द ही हिंदुस्तान को भी इस्लाम की हुकूमत यानी खिलाफ़त का हिस्सा बना लिया जाएगा. असल में इन ग्रुप्स में आतंकवादी कोड लैंग्वेज का इस्तेमाल कर अपनी बात रखते थे, ताकि साज़िश की बात आम ना हो. और तो और वो इस बात का भी ख्याल रखते थे कि कहीं कोई ग़ैर शख्स या पुलिस का मुखबिर धोखे से उनके ग्रुप का मैंबर ना बन जाए. लेकिन आख़िरकार वही हुआ, आईएसआईएस को जिसका डर था.
डि-कोड हुआ आतंकवादियों को कोड!
हिंदुस्तानी एजेंसियों ने आख़िरकार ऑपरेशन ग्रीन बर्ड का कोड डिकोड कर लिया. इस कोड के मुताबिक ग्रीन का मतलब भारत के तीन शहरों दिल्ली, भोपाल और त्रिवेंद्रम से था. जबकि बर्ड्स B1RDS लिखा था जिसमें आई की जगह वन लिखा था. और इसमें बी-1 मतलब था रेल का कोच नंबर बी-1. आर का मतलब था राजधानी एक्सप्रेस. जबकि डीएस का मतलब था दिल्ली साउथ.
इस हिसाब से देखें तो आईएसआईएस के आतंकवादी पंद्रह अगस्त से ऐन पहले 13 अगस्त को साउथ दिल्ली के किसी स्टेशन यानी निज़ामुद्दीन से गुज़रनेवाले किसी ट्रेन या फिर राजधानी एक्सप्रेस के बी-1 कोच में आईईडी के ज़रिए धमाका करनेवाले थे. इसके लिए आईईडी बनाने से लेकर मोबाइल फ़ोन के ज़रिए उन्हें डेटोनेट करने यानी बम फोड़ने की पूरी ट्रेनिंग आतंकवादियों को दी जा रही थी. लेकिन इससे पहले कि ऐसा हो पाता, सुरक्षा एजेंसियों ने ना सिर्फ़ उनका राज़ फाश कर दिया, बल्कि अनगिनत बेगुनाहों को बेमौत मारे जाने से बचा लिया.

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