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मुंबई : डोंगरी परिसर में इमारत ढहने की घटना की संपूर्ण जांच कराई जाएगी। इस दरक्यान दुर्घटना स्थल पर राहत और बचाव कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसके लिए सभी  मशीनरी को सर्तक और सक्रिय किया गया है। यह बात राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कही। वे कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। मंगलवार को कैबिनेट की   बैठक में मुख्यमंत्री ने डोंगरी हादसे की संपूर्ण जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि डोंगरी स्थित इमारत 100 साल पुरानी है, इसलिए इसे खतरनाक घोषित किया गया था। इमारत के  पुनर्विकास का काम बिल्डर को सौंपा गया था, लेकिन इसमें देरी क्यों हुई? इसकी जांच कराई जाएगी। इस इमारत में 15 परिवार रहते हैं, ऐसे में दुर्घटना में फंसे लोगों के राहत और   बचाव कार्य पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए एनडीआरएफ और महानगरपालिका की टीम घटनास्थल पर पहुंची है। गृह निर्माण मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल घटना स्थल पर पहुंचे  हैं तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं को पहुंचाने पर नजर रख रहे हैं। चूंकि दुर्घटना का परिसर संकीर्ण और घना है, इसलिए मुख्यमंत्री  फड़नवीस ने लोगों से बचाव दलों के साथ सहयोग करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि दुर्घटना की जांच और अन्य आवश्यक मामलों निर्णय लिया जाएगा। डोंगरी स्थित तांडेल  स्ट्रीट पर स्थित केसरबाई नाम की चार मंजिला इमारत मंगलवार सुबह साढ़े ग्यारह बजे अचानक ढह गई। इस हादसे में अभी तक पांच लोगों की मौत और 9 लोगों के जम्मी होने  की खबर है। इमारत में 40 से 50 निवासियों के फंसे होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने डोंगरी इमारत हादसे में म्हाडा, मुंबई महानगरपालिका और राज्य सरकार के जवाबदार संबंधित सभी लोगों पर धारा 302 के तहत   केस दाखिल करने और मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए की मदद देने की मांग की है। राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि डोंगरी हादसा सरकार की  लापरवाही की वजह से हुआ है। यह घटना दुर्भाग्यजनक है। बारिश शुरू होते ही मुंबई में दुर्घटनाओं की श्रृखंला शुरू होती है। इस साल तो कहर ही बरपा है। गटर में गिरकर लोग बह जाते हैं, दीवार गिरने से अनेक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, लेकिन सरकार और मनपा ने इन्हें पूरी तरह नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि मुंबई में हर साल खतरनाक  इमारतों के ढहने से कई लोगों की मौत होती है। 2017 में मनपा ने 30 साल पुरानी इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने की घोषणा की थी, इसमें डोंगरी की इमारत का ऑडिट हुआ  था? ऑडिट हुआ था तो उसका निष्कर्ष क्या था? ऑडिट नहीं हुआ था तो उसकी जवाबदारी किसकी है? इन सभी सवालों के जवाब सामने आने आवश्यक हंै। राष्ट्रवादी कांग्रेस के   मुंबई अध्यक्ष सचिन अहिर ने कहा कि इमारतों के पुनर्विकास को लेकर सरकार की कोई नीति नहीं है। डोंगरी स्थित जिस इमारत में हादसा हुआ, उसमें रहने वाले लोगों को उपनगर  में बने ट्रॉजिट कैंप दिए गए थे, लेकिन वे दक्षिण मुंबई परिसर में ही ट्रॉजिट कैंप चाहते थे। राकांपा प्रवक्ता  नवाब मलिक ने डोंगरी इमारत हादसे के दोषियों पर गैर इरादतन हत्या  का मामला दर्ज करने की मांग की है। मलिक ने कहा कि ऐसी खतरनाक इमारतों का सर्वे करने की जिम्मेदारी रिपेयर बोर्ड की है।

डोंगरी स्थित दुर्घटनाग्रस्त इमारत स्थल का मुंबई के पालक मंत्री सुभाष देसाई ने जायजा लिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस घटना के लिए जो कोई भी जवाबदार होगा, उस पर  कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस बीच घायलों को तेज गति से मदद पहुंचाने के लिए उन्होंने सबंधित मशीनरी को उचित निर्देश दिए। देसाई ने कहा कि मुंबई की खतरनाक इमारतों  और वहां रहने वाले लोगों के पुनर्वसन के मुद्दे पर वे मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे। डोंगरी स्थित केसरबाई इमारत के ढहने से कई नागरिकों के दबे होने की आशंका है। इस घटना के  बाद मुंबई के पालक मंत्री सुभाष देसाई ने तत्काल घटना स्थल पर पहुंचकर जानकारी हासिल की और घायलों को तत्काल मदद उपल ध कराने के निर्देश दिए। इस दौरान देसाई ने  कहा कि मुंबई की पुरानी और जर्जर इमारतों की समस्या गंभीर है। हर साल बारिश में इमारतें ढहने की घटना होती है। प्रशासन को ऐसी इमारतों में रहने वाले लोगों के तत्काल  पुनर्वसन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि डोंगरी इमारत हादसे के जवाबदार लोगों के खिलाफ जांच की जाएगी और उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।


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