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मुंबई : राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि बांद्रा पूर्व स्थित सरकारी कालोनी में कई वर्षों से रहने वाले सरकारी कर्मचारियों को खुद का घर उपल ध कराने के लिए सरकार सकारात्मक है। अगर जरूरत पड़ी तो इसकी निगरानी के लिए एक समिति बनाई जाएगी, जो कर्मचारियों को घर देने के लिए मापदंड तैयार कर एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। सोमवार को विधानपरिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से शिवसेना विधायक अनिल परब ने यह मुद्दा उपस्थित किया, जिसमें परब ने बांद्रा स्थित सरकारी कॉलोनी  में वर्षों से रहने वाले कर्मचारियों को घर देने की मांग की। इसके जवाब में चंद्रकांत पाटिल बोल रहे थे। मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि कर्मचारियों के घरों के मापदंड के लिए बनाई  जाने वाली समिति में अनिल परब, भाई गिरकर, किरण पावसकर, विद्या चव्हाण और नगरविकास राज्य मंत्री योगेश सागर को शामिल किया जाएगा, जो सरकारी कर्मचारियों के  लिए बनने वाले घरों का मापदंड तय करेंगे। उन्होंने कहा कि 1959 और 1975 के बीच बांद्रा स्थित सरकारी कॉलोनी के 96 एकड़ सरकारी भूखंड पर 4782 फ्लैट बनाए गए हैं। 60  एकड़ भूखंड में बनी इमारतें 50 से 60 साल पुरानी हो चुकी हैं। पाटिल ने कहा कि कॉलोनी समुद्र के नजदीक होने के कारण यहां की जमीन में ज्यादा नमी है जिसका बड़ा प्रभाव इन  इमारतों पर पड़ा है। इसके कारण पांच इमारतों को अति खतरनाक घोषित किया गया है और उसमें रहने वाले 452 लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है। अति खतरनाक  घोषित की गई इन इमारतों का पुनर्निर्माण कार्य शुरू है। पाटिल ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को खुद का घर देने के लिए सरकार सकारात्मक है। इस चर्चा में राकांपा सदस्य  किरण पावसकर, विनायक मेटे, विद्या चव्हाण सहित कई अन्य सदस्यों ने हिस्सा लिया।


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