पर्दे पर झलकेगा बदायूं दुष्कर्म कांड का दर्द, UN ने भी जताई थी चिंता
बदायूं, जेएनएन।बदायूं में गंगा की कटरी में बसे बेहद पिछड़े गांव कटरा सआदतगंज में 26 मई 2014 को देश को शर्मसार करने वाले वाकये ने पूरी दुनिया में इसे सुर्खियों में ला दिया था। वजह भी बेहद क्रूर और दिल दहला देने वाली थी। दबंगई की तो इंतहा, जिसके दम पर दो सगी बहनों के साथ दरिंदगी को अंजाम दिया गया। इतना ही नहीं, कृत्य छिपाने के लिए दोनों को मारकर गांव के बाहर पेड़ से टांग दिया गया था। मामला मीडिया की सुर्खियां बनने पर तत्कालीन सपा सरकार जागी।
एसआइटी से लेकर सीबीआइ जांच बैठी। हाई कोर्ट तक उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन परिजनों को इंसाफ आज तक नहीं मिल पाया। अलबत्ता, बेटियों के साथ होने वाली हैवानियत को उजागर करने की बॉलीवुड की कोशिश से एक बार फिर कटरा कांड सुर्खियों में आ गया है। घटना पर फिल्म आर्टिकल-15 बनकर तैयार है। इसी माह रिलीज होने वाली है। हालांकि, फिल्म में आरोपियों की जाति को लेकर विरोध शुरू हो गया है। ब्राह्मण समाज पात्रों को लेकर आपत्ति जता रहा है।
यह था घटनाक्रम: उसहैत थाना क्षेत्र के गांव कटरा सआदतगंज गांव की रहने वाली दो नाबालिग सगी चचेरी बहनें देर शाम शौच जाने की बात कहकर घर से निकली थीं। देर रात तक घर नहीं पहुंचीं। परिजन तलाश करने निकले। रात एक बजे दोनों के शव आम के बाग में पेड़ से टंगे पाए गए थे। रात में ही हंगामा मचा तो गांव के पप्पू यादव, भाई अवधेश यादव, उर्वेश यादव के अलावा कटरा चौकी पर तैनात सिपाही सत्यपाल व सर्वेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया।
जमकर हुई सियासत : इसके बाद जमकर सियासत भी हुई। शुरुआती दौर में किशोरियों के अनुसूचित जाति का होने की बात प्रचारित हुई तो बसपा प्रमुख मायावती गांव पहुंच गईं। बाद में पता चला कि किशोरियां पिछड़ी जाति के परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आए। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया का जमावड़ा लगा रहा। कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई हुई।