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डॉक्टरों की लापरवाही से एक दंपति को 4 साल तक मानसिक यंत्रणा से गुजरना पड़ा. टीबी की दवा चलने के साथ ही उन्हें प्रैग्नेंसी की सलाह दे दी गई. इससे महिला की हालत खराब हो गई और पहला बच्चा भी हाथ से जाता रहा. लंबी लड़ाई के बाद दिल्ली कंस्यूमर फोरम ने पीड़िता को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.

परिवार के सदस्य मानस ने बताया, "पुष्पांजलि अस्पताल की डॉक्टर श्रद्धा जैन ने मेरी पत्नी का एक टेस्ट करवाया. इस टेस्ट के आधार पर एंडोमेट्रियल टीबी के अनावश्यक उपचार के लिए दबाव बनाया गया, जिसे WHO (world health organisation) ने टीबी के इलाज के लिए बैन कर रखा था. फिर हमें बच्चा प्लान करने की सलाह दी गई. कहा गया कि अगर अभी प्लान नहीं करेंगे तो हमें कभी बच्चा नहीं होगा. यह बिल्कुल गलत सलाह थी. उस समय हमारी उम्र 28 साल थी और हमने बच्चे के बारे में सोचा भी नहीं था."

मानस ने आगे बताया, फिर मेरी पत्नी गर्भवती हुई लेकिन गलत सलाह के कारण बच्चे की जान खतरे में थी और हमने उसे गंवा दिया. इसके बाद हमने डॉक्टर बदलने की सोची और हम फॉर्टिस ले-फेम अस्पताल ग्रेटर कैलाश की डॉक्टर नीना सिंह के पास गए. उन्होंने भी गलत सलाह दी. उन्होंने हमें गर्भपात के बाद भी D & C (डायलेशन एंड क्यूरेटेज) कराने की सलाह दी. मेरी पत्नी को ब्लीडिंग होने के बाद से उन्होंने पैसा ऐंठना  शुरू कर दिया. फिर उन्होंने सर्जरी की. इस दौरान उन्होंने गर्भाशय के अंदर प्लेसंटा के एक भाग को छोड़ दिया, जिससे बहुत दर्द होता था. सर्जरी के बाद हम फिर डॉक्टर नीना सिंह से मिले. उन्होंने गलती मानते हुए दोबारा D & C कराने को कहा. इस दौरान भी उन्होंने सावधानी नहीं बरती. परिणाम यह हुआ कि मेरी पत्नी एशरमैन सिंड्रोम से ग्रस्त हो गईं. मेरी पत्नी को कई महीने तक पीरियड्स हुए और वह डिप्रेशन का शिकार हो गईं."

आगे की कहानी बताते हुए मानस ने कहा, " इसके बाद मैं और मेरी पत्नी स्वप्निल काफी परेशान रहने लगे. इस दौरान हम कई डॉक्टरों के पास गए. फिर हम डॉक्टर पुनीत बेदी से मिले. उन्होंने हमें सही सलाह दी. बेदी ने बताया कि मेरी पत्नी की हालत बहुत खराब थी. वह कभी मां नहीं बनने की स्थिति में थी. लेकिन बड़ों के आशीर्वाद और एक सही सर्जन के कारण मेरी पत्नी गर्भवती हुई. मैं पुनीत बेदी और डॉक्टर राधा स्वामी का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने डॉक्टरी के पेशे को जिंदा रखा हुआ है. वरना ऐसे कई डॉक्टर हैं, जिन्होंने इस प्रोफेशन को पैसा कमाने का जरिया बना रखा है".

मानस ने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत दिल्ली कंस्यूमर फोरम से की. वे कई साल तक कानूनी लड़ाई लड़े. जिसके बाद गलत इलाज करने वाले पुष्पांजलि एवं फोर्टिस अस्पताल और डॉक्टरों पर राज्य आयोग ने 25 लाख का जुर्माना लगाया है. अस्पताल को यह रकम पीड़ित महिला को मुआवजे के रूप में देनी होगी. मानस ने अन्य दंपतियों से भी गुजारिश की है कि अगर उनके साथ भी ऐसा हुआ है तो वे आगे आकर लड़ाई लड़ें ताकि दुनिया में आने वाले किसी बच्चे की असमय मौत न हो.


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