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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बयार में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. 17वीं लोकसभा चुनाव में पार्टी को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ है. मुख्‍य विरोधी दल कांग्रेस के पास विपक्ष में बैठने लायक सीटें भी नहीं आ पाईंं हैं. कई राज्‍य तो ऐसे हैं जहां कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला है. पार्टी का आंध्र प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हाल है. यहां पर वाईएसआर की लहर में कांग्रेस बह गई है.



लोकसभा चुनाव 2019 में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी ने राज्‍य की 25 सीटों में से 22 पर कब्‍जा जमा लिया है. जबकि तीन सीटों पर टीडीपी ने जीत दर्ज की है. विधानसभा चुनाव में भी रेड्डी की पार्टी को ही जनाधार मिला है. हालांकि वाईएसआर कांग्रेस की जीत के साथ ही जगन रेड्डी ने कांग्रेस पार्टी से मां-बहन के अपमान का बदला ले लिया है. 2019 के रिजल्‍ट के साथ ही रेड्डी की सौगंध भी पूरी हो गई है.

दरअसल, कांग्रेस के दिग्‍गज नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री वाईएसआर की हेलिकॉप्‍टर दुर्घटना में मौत हो गई थी. उनकी मौत के साथ ही कांग्रेस पार्टी ने उनके परिवार से दूरी बना ली. इस बीच वर्ष 2010 के मध्‍य में जगनमोहन रेड्डी की मां विजयलक्ष्‍मी (विजयम्‍मा) अपनी बेटी शर्मिला रेड्डी के साथ सोनिया गांधी से मिलने के लिए 10 जनपद गईं.

सोनिया गांधी ने किया अपमान
वाईएसआर और दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बीच काफी घनिष्‍ठ संबंध थे, जिससे विजयलक्ष्‍मी को उम्‍मीद थी कि सोनिया गांधी उनके साथ भी काफी गर्मजोशी से मिलेंगी, लेकिन कांग्रेस की तत्‍कालीन अध्‍यक्ष से मिलने के लिए जब उन्‍हें कुछ समय तक इंतजार करना पड़ा तो उनकी सारी उम्‍मीद चकनाचूर हो गई. जब सोनिया गांधी उनके पास आईं तो उनका व्‍यवहार सामान्‍य से हटकर कुछ सख्‍त सा लगा.
 
उस समय वाईएसआर की मौत के वियोग में कई लोगों ने आत्‍महत्‍याएं कर ली थींं और जगनमोहन रेड्डी आत्‍महत्‍याएं करने वाले लोगों के घर पहुंच रहे थे और उनके परिजनों से मिल रहे थे. रेड्डी ने इस यात्रा को 'ओदारपू' नाम दिया था. सोनिया गांधी ने विजयम्‍मा से मिलने के बाद रेड्डी को यह यात्रा रोकने के लिए कहा. सोनिया चाहती थीं कि जगनमोहन ये यात्रा तुरंत रोक दें. हालांकि विजयम्‍मा ने उन्‍हें समझाने की कोशिश की लेकिन सोनिया अपनी कुर्सी से उठी और यात्रा रोकने के लिए कहा.

रेड्डी ने बनाई नई पार्टी
मां और बहन के इस अपमान का बदला लेने के लिए जगहमोहन रेड्डी ने कसम खा ली. इसके बाद उन्‍होंने अपने परिजनों और करीबियों को यह संकेत दिया कि वे जल्‍द ही नई पार्टी का गठन करेंगे. उन्‍होंने कहा कि वे आंध्र प्रदेश से कांग्रेस का खत्‍म कर देंगे.

सितंबर 2009 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में वाई एस राजशेखर रेड्डी की मृत्यु हो गई और कांग्रेस ने दिवंगत मुख्यमंत्री के उत्तराधिकारी के तौर पर के. रोसैया को चुना. जबकि जमीनी स्‍तर पर रोसैया का कोई जनाधार नहीं था. कांग्रेस हाईकमान ने जगनमोहन रेड्डी को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया था. उस समय पार्टी में बगावती सुर भी उठने लगे थे. विरोध ज्‍यादा बढ़ने पर कांग्रेस ने किरण कुमार रेड्डी को प्रदेश का सीएम बना दिया.

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बेटे जगनमोहन रेड्डी को न तो वाईएसआर का उत्‍तराधिकार दिया गया और न ही कांग्रेस पार्टी में कोई पद दिया गया. इसके बाद रेड्डी ने 2011 में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. उनकी मां वाई विजयलक्ष्मी ने भी पुलिवेंदुला विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. YSRCP संस्थापक ने 2011 के उपचुनाव में कडप्पा से पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड 5.45 लाख बहुमत के साथ जीत हासिल की.

उस समय रेड्डी एक सफल बिजनेसमैन थे. लेकिन, उनपर कानूनी शिकंजा कसा जाने लगा. उनपर आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज होने लगे. इस मामले में वे 18 महीने तक जेल में भी रहे. फिर उन्‍हें जमानत मिली. जेल से निकलने के बाद रेड्डी ने जनाधार जुटाने के लिए खास रणनीति पर काम करना शुरू किया. उन्‍होंने राज्‍य में 3,600 किलोमीटर की पदयात्रा की और उन्‍हें जनता का अच्‍छा खासा समर्थन हासिल हुआ.


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