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ठाणे : फिलहाल तो गर्मी का मौसम शुरू है लेकिन बरसात के मौसम में पहाड़ी इलाकों में पत्थर खिसकने की संभावना होती है। मनपा द्वारा किए गए एक सर्वे में कुल २६ इलाके ऐसे हैं, जहां बरसात के दौरान पत्थर खिसक सकता है और स्थानीय लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है। इन २६ इलाकों में लगभग ६० हजार लोगों रहते हैं, जिनकी जान को खतरा हो सकता है।

बता दें कि ठाणे शहर में दिन-ब-दिन जर्जर इमारतों की संख्या में वृद्धि हो रही है। ठाणे शहर स्मार्ट सिटी की ओर तेजी से बढ़ रहा है लेकिन ठाणे शहर की झोपड़पट्टियों की समस्या दिन-ब-दिन चर्चा में रहती है। चाहे वह वन विभाग की जमीन पर झोपड़पट्टियां हों या फिर पहाड़ों पर झोपड़पट्टियां। शहर में वागले इस्टेट की पहाड़ियों पर और कलवा-मुंब्रा में सबसे अधिक अतिक्रमण पाया गया है। अनेक वर्षों से यहां के स्थानीय लोग खतरे के साए में रहते आ रहे हैं। कलवा परिसर में आतकोनेश्वर नगर, भास्कर नगर, पौंडपाड़ा जैसे पहाड़ी इलाके झोपड़पट्टियों से भरे हैं। वहीं मुंब्रा बायपास के समीप मनपा प्रशासन की आंखों के सामने झोपड़पट्टियों का साम्राज्य खड़ा हो गया है।

बरसात के मौसम में ऐसे इलाकों में भूस्खलन होने की संभावना अधिक होती है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मनपा द्वारा भूस्खलन और पत्थरों के गिरनेवाले इलाकों का सर्वे किया गया। जिसमें कुल २६ जगहों का समावेश है, जिसमें रायलादेवी प्रभाग में १२ इलाकों सहित माजीवाड़ा-मानपाड़ा २, कलवा ६, मुंब्रा ५ और वर्तकनगर १ के पहाड़ी इलाकों का समावेश है। सभी इलाकों में रहनेवाले स्थानीय लोगों को मनपा ने नोटिस भेजी है।


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