अंगदान के प्रति बढ़ रही जागरूकता
मुंबई, मुंबई में इस साल रिकॉर्ड ३० लोगों ने अंगदान करके बहुतों को जीवनदान दिया है। इसी क्रम में ३०वां अंगदान का रिकॉर्ड परेल के ग्लोबल अस्पताल में दर्ज हुआ। यहां ८० वर्षीय ब्रेन डेड मरीज के लीवर को अस्पताल में ही भर्ती दूसरे मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया, जिसके चलते उसे नया जीवन मिला है। यह जानकारी जोनल ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेशन सेंटर (जेडटीसीसी) के अधिकारियों ने दी।
जेडटीसीसी के अधिकारियों ने कहा कि शहर में अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। लोग अब अंगदान करने या स्वीकार करने में किसी तरह का संकोच नहीं कर रहे हैं। वहीं पिछले साल शहर में ३० अंगदान हुए थे। इस साल १९ अक्टूबर तक ३० लोगों ने अंगदान कर विभिन्न अंगों की प्रतीक्षा कर रहे लोगों को नया जीवन दिया है। इस साल के अंत तक यह संख्या और अधिक होने की उम्मीद है।
जेडटीसीसी के अधिकारियों के मुताबिक मुंबई में ३,३२५ मरीज नए किडनी और ३२८ मरीज लीवर की प्रतीक्षा में हैं। छोटी आंत की प्रतीक्षा सूची में ७, अग्न्याशय के १२, दिल के २८ और फेफड़े के ९ मरीज हैं। इनमें से ६ ऐसे मरीज हैं, जिन्हें दोनों दिल और फेफड़ों के प्रत्यारोपण की जरूरत है। इसी तरह ५ रोगी हाथ की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
जेडटीसीसी के अध्यक्ष डॉ. एसके माथुर के मुताबिक कोरोना महामारी के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के कारण ट्रांसप्लांट कार्यक्रम रोक दिए गए थे। इस दौरान डॉक्टरों को कोरोना संक्रमण की आशंका थी। इसके अतिरिक्त ऑपरेशन और अस्पताल से छुट्टी के बाद प्रत्यारोपित रोगियों में डक्शन थेरेपी और इम्यूमोनो-सप्रेसिव उपचार के कारण संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ गई। नतीजतन डायलिसिस के विकल्प के चलते मरीज भी एसी आइसेप्ट ऑर्गन, विशेष रूप से गुर्दे के लिए अनिच्छुक थे।